पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और ममता सरकार के बीच चल रही कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। इस कलह में नया घटनाक्रम यह हुआ है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारद घोटाला मामले में जांच एजेंसी सीबीआई को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कुछ नेताओं के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की अनुमति दे दी है।
इन नेताओं में टीएमसी के दो नेता सोमवार को ममता मंत्रिमंडल के होने वाले विस्तार में मंत्री पद की शपथ लेंगे। इन नेताओं के नाम सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हाकिम हैं। बाक़ी दो नेताओं के नाम सोवन चटर्जी और मदन मित्रा हैं। इन सभी को नारदा मामले में रिश्वत लेते दिखाया गया था।
राजभवन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि किसी लोकसभा सांसद पर मुक़दमा चलाने के लिए इस सदन के स्पीकर की जबकि विधायक के ख़िलाफ़ ऐसे मामलों में विधानसभा के स्पीकर की अनुमति ज़रूरी होती है। लेकिन नारद घोटाला मामले में सीबीआई ने बंगाल विधानसभा के स्पीकर से मंजूरी नहीं मांगी है बल्कि राज्यपाल से मंजूरी देने के लिए कहा था।
नारद घोटाला मामले में टीएमसी के जिन सात सांसदों का नाम सामने आया था, उनमें से छह लोकसभा के सांसद थे जबकि एक मुकुल रॉय राज्यसभा से थे। मुकुल रॉय बाद में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे और हाल ही में विधायक चुने गए हैं। छह लोकसभा सांसदों में से सुल्तान अहमद की मौत हो चुकी है।
कभी ममता के साथ रहे और अब बीजेपी में आ चुके शुभेंदु अधिकारी भी इस मामले में अभियुक्त हैं। अधिकारी के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए अभी लोकसभा स्पीकर से अनुमति नहीं मिली है। अधिकारी ने हालिया चुनावों में ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट से हराया है।
नारदा व सारदा घोटाला
2014 में नारद न्यूज़ के सीईओ मैथ्यू सैमुअल के द्वारा किये गये एक स्टिंग में टीएमसी के नेताओं और सरकारी अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था। बीजेपी टीएमसी के नेताओं पर इस मामले को लेकर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाती रही है।
इसके अलावा सारदा घोटाला एक बहुत बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी थी जिसमें लाखों छोटे निवेशकों को चूना लगाया गया था। उन्हें पैसे जमा करने पर ज़्यादा लाभ देने का वादा किया गया था। कोलकाता के पुलिस प्रमुख राजीव कुमार से सारदा चिट फ़ंड मामले में पूछताछ हो चुकी है। राजीव कुमार की गिरफ़्तारी को लेकर कोलकाता में जमकर हंगामा हुआ था।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी और टीएमसी के बीच जोरदार संघर्ष हुआ था। दोनों दलों ने जीत के लिए पूरा जोर लगाया था लेकिन ममता बनर्जी की टीएमसी ने बीजेपी को काफी पीछे छोड़ दिया था।
इसके बाद से ही यह माना जा रहा है कि ममता बनर्जी के लिए सरकार चलाना मुश्किल होगा क्योंकि टीएमसी आरोप लगाती रही है कि राज्यपाल ममता सरकार को केंद्र सरकार के इशारे पर परेशान करते हैं। राज्यपाल के इस ताज़ा फ़ैसले के बाद टीएमसी और ममता सरकार के बीच जारी रार और तेज़ हो सकती है।
बंगाल चुनाव के नतीजों के बाद राज्य में हो रही हिंसा को लेकर भी राज्यपाल और ममता सरकार के बीच अनबन देखने को मिली है।