बीजेपी : ममता ने नामांकन पत्र में जानकारी छिपाई

02:08 pm Mar 16, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

क्या ममता बनर्जी ने अपने नामांकन पत्र में कुछ सूचनाएँ छिपाई हैं?

यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि किसी समय उनके नज़दीकी के सिपहसालार रहे और आज उन्हें नंदीग्राम से चुनौती दे रहे शुभेंदु अधिकारी ने यह आरोप लगाया है। 

इन दोनों के एक ही सीट से चुनाव लड़ने की वजह से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 काफी दिलचस्प हो गया है। ऐसे में अधिकारी का यह दावा इसे दिलचस्प बनाता है।

क्या है मामला? 

मेदिनीपुर के नंदीग्राम से बीजेपी उम्मीदवार व पूर्व परिवहन मंत्री अधिकारी ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिख कर कहा है कि ममता बनर्जी ने नामांकन पत्र में यह नहीं बताया है कि उनके ख़िलाफ़ छह आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं। 

उन्होंने आयोग को लिख चिट्ठी में आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ असम में पाँच मुक़दमे दर्ज हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में एक मामला केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई के पास है। 

अधिकारी ने अपनी चिट्ठी में केस नंबर की जानकारी दी है, पर यह नहीं बताया है कि ये किन मामलों से जुड़े हैं या ममता बनर्जी पर क्या आरोप हैं। 

अधिकारी ने चुनाव आयोग को लिखे ख़त में कहा है,

"अपने एफ़िडेविट में उन्होंने छह मामलों को उद्धृत नहीं किया है, जो उनके ख़िलाफ़ चल रहे हैं। एक सीबीआई के पास है और पाँच असम में दायर हैं।"


शुभेंदु अधिकारी, नेता, बीजेपी

उन्होंने कहा है, "मैंने चुनाव आयोग से अपील की है कि जानकारी छिपाने के लिए उनका नामांकन रद्द कर दिया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि आयोग ज़रूरी कार्रवाई करेगा। मैं इंतजार करूंगा और देखूंगा कि क्या कार्रवाई की जाती है। कार्रवाई नियम के अनुसार की जानी चाहिए।" 

पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,

"नामांकन पत्र के साथ जब एफ़ि़डेविट दिया जाता है, यह प्रावधान होता है कि उसके विरुद्ध एफ़िडेविट दिया जाए। हम दोनों ही अपने वेबसाइट पर अपलोड कर देंगे। हम फ़िलहाल रिटर्निंग अफ़सर की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।"


अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी, पश्चिम बंगाल

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला

अधिकारी ने यह आरोप भी लगाया है कि ममता बनर्जी ने 2008 में कोलकाता में अपने ख़िलाफ़ दायर एक मामले का जिक्र भी नहीं किया है। 

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपने बारे में पूरी जानकारी देना उम्मीदवार की ज़िम्मेदारी है। अधिकारी ने यह भी कहा कि यदि कोई उम्मीदवार जानकारी छिपाता है तो उसकी उम्मीदवारी रद्द किए जाने का प्रावधान है। इस आधार पर ममता बनर्जी की उम्मीदवारी रद्द की जानी चाहिए। 

क्या कहना है तृणमूल का?

दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि बीजेपी तथ्यों की पड़ताल किए बग़ैर ही ममता बनर्जी पर आरोप लगा रही है। 

बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता स्थित अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर के बजाय इस बार मेदिनीपुर के नंदीग्राम से नामांकन भरा है। उन्हें शुभेंदु अधिकारी चुनौती दे रहे हैं, जो तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी चले गए हैं। 

शुभेंदु अधिकारी, नेता, बीजेपी

आरोपों में दम है?

एनडीटीवी के अनुसार, असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीज़न्स यानी एनआरसी के फ़ाइनल ड्राफ़्ट 30 जुलाई 2019 को प्रकाशित होने के बाद पाँच दिनों के अंदर ममता बनर्जी पर पाँच मुक़दमे लगा दिए गए। 

असम के डिप्टी पुलिस आयुक्त (केंद्रीय) रंजन भुयां ने एनडीटीवी से कहा कि 'गुवाहाटी और सिलचर में धर्म के नाम पर कथित रूप से गड़बड़ी पैदा करने के आरोप में' ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई हैं। 

असम पब्लिक वर्क्स के ध्रुबज्योति तालुकदार की शिकायत पर गुवाहाटी के गीतानगर थाने में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ एफ़आईआर लिखवाई गई है। 

किन धाराओं में एफ़आईआर

भारतीय दंड संहिता क धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 153 (धर्म, समुदाय, लिंग, जाति, भाषा, जन्म स्थान के नाम पर विभिन्न समुदायों में विद्वेष पैदा करना) और धारा 298 (किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करने के लिए अपशब्दों का जानबूझ कर इस्तेमाल करना) के तहत ये एफ़आईआर दर्ज की गई हैं। 

इसके अलावा एक महिला पुलिस अफ़सर की शिकायत पर कछार के उधारबंद थाने में एक एफ़आईआर दर्ज की गई है। महिला पुलिस कर्मी का कहा है कि तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सिलचर हवाई अड्डे पर उनसे धक्कामुक्की की थी, जिसमें वे घायल हो गई थीं। यह एफ़आईआर धारा 144 का उल्लंघन करने और सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने के तहत दर्ज की गई है। 

इसके जवाब में टीएमसी की महुआ मोइत्रा और काकोली घोष दस्तीदार ने असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के ख़िलाफ़ दो शिकायतें दर्ज कराई थीं।