बीजेपी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे मुकुल राय की वापसी और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजीब बनर्जी के टीएमसी नेता कुणाल घोष से मुलाक़ात करने के बाद कुछ और नेताओं की टीएमसी में घर वापसी की ख़बरों को लेकर बीजेपी आलाकमान बेहद परेशान दिख रहा है।
उसकी यह परेशानी तब और बढ़ गई जब विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को बीजेपी विधायकों के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाक़ात की तो 24 विधायक इससे ग़ैर हाज़िर रहे। इस दौरान राज्यपाल को चुनाव के बाद राज्य के अंदर हो रही हिंसा की घटनाओं को लेकर ज्ञापन सौंपा गया।
दल-बदल क़ानून है लागू
मुलाक़ात के बाद राज्यपाल ने कहा कि संवैधानिक मुखिया होने के नाते वह यह साफ कर देना चाहते हैं कि बंगाल में दल-बदल क़ानून पूरे प्रभाव के साथ लागू है और यह उसी तरह है जिस तरह पूरे देश में है। उन्होंने कहा कि राज्य में डर का माहौल है। शुभेंदु ने भी कहा है कि ऐसे विधायक जो टीएमसी में वापस जाना चाहते हैं, उन पर दल-बदल क़ानून लागू होना चाहिए।
टीएमसी ने ली चुटकी
24 विधायकों की ग़ैर हाज़िरी पर टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने चुटकी ली और शुभेंदु अधिकारी से पूछा कि उन्हें दल-बदल क़ानून पर बात करने से पहले अपने इन ग़ैर हाज़िर रहे विधायकों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है तो शुभेंदु को उनसे नया दल-बदल क़ानून लाने के लिए कहना चाहिए।
टीएमसी में लौटने की चर्चा
अब बीजेपी आलाकमान परेशान हो गया है कि ये 24 विधायक राज्यपाल से मिलने क्यों नहीं पहुंचे। इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि ये सभी टीएमसी में लौट सकते हैं। इससे यह भी सवाल खड़ा हुआ है कि क्या इन विधायकों को शुभेंदु अधिकारी को विपक्ष का नेता बनाया जाना अखरा है।
‘30 से ज़्यादा विधायक संपर्क में’
इंडिया टुडे के मुताबिक़, बीजेपी के कई विधायक नाराज़ हैं। टीएमसी ने कहा है कि 30 से ज़्यादा विधायक उसके संपर्क में हैं। मुकुल राय से पहले सोनाली गुहा और दीपेंदु बिस्वास भी खुलकर कह चुके हैं कि वे टीएमसी में वापस आना चाहते हैं। मुकुल राय की टीएमसी में वापसी के बाद इन नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें भी वापस ले लेगी।
टीएमसी में वापसी के लिए धरना
बीजेपी के ऐसे नेता जो विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी को छोड़कर पार्टी में आए थे, उनके बीच घर वापसी की होड़ लग गई है। बीरभूमि के इल्लम बाज़ार इलाक़े में बीजेपी कार्यकर्ता सोमवार को टीएमसी के दफ़्तर के बाहर धरने पर बैठ गए और उन्हें पार्टी में वापस लेने की मांग की। इन सभी नेता और कार्यकर्ताओं ने हाथों में पोस्टर लिए हुए थे और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से उन्हें पार्टी में वापस लिए जाने की गुहार लगा रहे थे।
ऐसी घटना शायद आज़ाद भारत की राजनीति के इतिहास में पहली बार हुई है। हालांकि इन लोगों का संघर्ष कामयाब हुआ और धरना देने के बाद 50 बीजेपी कार्यकर्ताओं को टीएमसी में वापस शामिल कर लिया गया।