पश्चिम बंगाल में हुए हालिया नगर निकाय चुनाव के बाद राज्य की बीजेपी इकाई में बेचैनी और असंतोष बढ़ रहा है। राज्य के नेताओं के बीच आपसी जुबानी जंग भी देखने को मिल रही है। बता दें कि बंगाल में हुए नगर निकाय चुनाव में बीजेपी का खाता भी नहीं खुल सका है।
टीएमसी ने बीजेपी, कांग्रेस और वाम दलों का राज्य से सूपड़ा साफ कर दिया है। टीएमसी को 108 में से 102 नगर पालिकाओं में जीत मिली है।
108 नगरपालिकाओं के 2171 वार्ड में से बीजेपी को केवल 63 वार्ड में जीत मिली है जबकि टीएमसी 1870 वार्ड जीतने में कामयाब रही है।
बीजेपी को इस चुनाव में 13 फीसद वोट मिले हैं जबकि वाम दलों को 14 फीसद। बीजेपी के लिए चिंता का विषय यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे जो 40 फीसद वोट मिले थे उससे वह काफी नीचे आ गई है।
बीते शनिवार को इस संबंध में पार्टी की चिंतन बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में बीजेपी की बंगाल इकाई की महासचिव और लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी ने बीजेपी संगठन में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाया। द हिंदू के मुताबिक, चटर्जी ने कहा कि यह नियुक्तियां योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि कोटा सिस्टम के आधार पर हुई हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं को इस बारे में आत्मचिंतन करना चाहिए कि वोट शेयर में इतनी बड़ी गिरावट क्यों हुई है। आखिर गलती कहां हुई है।
चटर्जी ने कहा कि हमें इन गलतियों को सुधार कर अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए जुटना चाहिए।
रविवार को पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि लॉकेट चटर्जी का बयान आत्मचिंतन जैसा नहीं बल्कि आलोचना करने वाला था।
प्रदेश अध्यक्ष का तर्क
बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी इस मामले पर खामोश ही रहे। लॉकेट चटर्जी के द्वारा आत्म चिंतन किए जाने की बात कहने पर राज्य में बीजेपी के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने कहा कि हम लोग इन दिनों एक नया नारा देख रहे हैं।
उन्होंने कहा- यह नारा है कि वामदलों को बंगाल की राजनीति में बने रहने दिया जाए। मजूमदार के मुताबिक, टीएमसी के कार्यकर्ता 8 वोट तो टीएमसी को दे रहे थे लेकिन दो वामदलों को दे रहे थे।
राज्य बीजेपी के नेता मजूमदार के इस तर्क से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए टीएमसी को दोष देने से बीजेपी की मुसीबतें हल नहीं होंगी।
नियुक्तियों को लेकर नाराजगी
बता दें कि पश्चिम बंगाल बीजेपी में संगठन में हुई नियुक्तियों को लेकर नेताओं की नाराजगी बरकरार है और ये कहा जा रहा है कि मतुआ समुदाय के कुछ नेता पार्टी छोड़ सकते हैं। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे लगाया जा रहा है और हाल ही में पार्टी में शामिल हुए लोगों को प्रमोट किया जा रहा है।
राज्य बीजेपी में हुई नियुक्तियों को लेकर कहा गया है कि वरिष्ठ नेताओं को संगठन में जगह नहीं दी गई है। खबरों के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को लेकर राज्य इकाई में नाराजगी कम है जबकि राज्य में बीजेपी के संगठन महासचिव और संघ से आए अमिताभ चक्रवर्ती को लेकर नाराजगी ज्यादा है।