पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरूवार को कहा कि सीबीआई, बंगाल पुलिस की स्पेशल टीम हिंसा के मामलों की जांच करेगी। पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान ही टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जमकर झड़पें हुई थीं और नतीजे आने के बाद टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर गुंडागर्दी करने का आरोप बीजेपी ने लगाया था। पश्चिम बंगाल सरकार हाई कोर्ट के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
अदालत ने कहा कि हत्या, बलात्कार और महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए अपराधों के आरोपों की जांच सीबीआई करेगी जबकि हिंसा के बाक़ी आपराधिक मामलों की जांच बंगाल पुलिस की एसआईटी करेगी। अदालत ने कहा कि कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा जांच का हिस्सा होंगे।
पांच जजों की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की सुनवाई चल रही है। अदालत में दायर की गई याचिकाओं में मांग की गई है कि इन मामलों में निष्पक्ष जांच की जाए। अदालत ने 3 अगस्त को हुई सुनवाई के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
एनएचआरसी की रिपोर्ट
पिछली सुनवाइयों में अदालत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को निर्देश दिया था कि वह हिंसा के इन मामलों में प्रारंभिक पूछताछ करे। कोर्ट ने राज्य की पुलिस को आदेश दिया था कि वह चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले के सभी पीड़ितों के केस दर्ज करे।
एनएचआरसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार ने हिंसा को रोकने की कोशिश नहीं की और आयोग ने हत्या और बलात्कार के मामलों में सीबीआई जांच की मांग का समर्थन किया था। आयोग ने कहा था कि राज्य में क़ानून के शासन के बजाय शासक का क़ानून चल रहा था और स्थानीय पुलिस ने घोर लापरवाही की।
ममता का पलटवार
लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनएचआरसी की रिपोर्ट को लेकर पलटवार किया था और कहा था कि इस रिपोर्ट को लीक करके बीजेपी का राजनीतिक एजेंडा लागू किया जा रहा है और यह यह अदालत का अपमान है। उन्होंने कहा था कि बीजेपी अपना राजनीतिक हिसाब बराबर करने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। जबकि एनएचआरसी ने कहा था कि रिपोर्ट को लीक किए जाने की बात ग़लत है।