क्या महाराष्ट्र की तरह पश्चिम बंगाल में भी राजनीतिक उठा-पटक हो सकती है? बीजेपी ने तो कम से कम सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार के जल्द ही गिरने का दावा किया है। बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर ने अपने लोकसभा क्षेत्र बोंगांव में एक पार्टी कार्यक्रम में कहा कि टीएमसी सरकार अब से पांच महीने से ज़्यादा नहीं टिकेगी। तो सवाल है कि उनके दावों में कितनी सचाई है? इस सवाल के जवाब में तो टीएमसी ने दावों को खारिज किया है और कहा है कि राज्य में भाजपा नेता केवल जन समर्थन वाली सरकार को धमकी देकर दिल्ली में अपनी रेटिंग बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
टीएमसी की प्रतिक्रिया से इतर बात करें तो एक सवाल यह है कि आख़िर बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर ने किस आधार पर टीएमसी सरकार के गिरने का दावा किया? पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री ठाकुर ने कहा, 'ममता बनर्जी की सरकार अपनी उपयोगिता खो चुकी है। अगर टीएमसी ने हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली नहीं की होती, तो बीजेपी को हजारों अतिरिक्त सीटें मिलतीं। लेकिन टीएमसी सरकार की देखरेख में यह आखिरी चुनाव होने जा रहा है जहाँ राज्य चुनाव आयोग सहित सभी राज्य मशीनरी तटस्थ और निष्पक्ष भूमिका निभाने में विफल रही हैं।' उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह सरकार पांच महीने से ज्यादा नहीं चलेगी।' उनके साथ ही बीजेपी के बंगाल प्रमुख सुकांत मजूमदार ने भी पत्रकारों से कहा, 'कभी भी कुछ भी हो सकता है। देखते हैं क्या होता है।'
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मजूमदार ने कहा, 'कौन जानता है, टीएमसी के कुशासन और आतंक के खिलाफ लोगों का विद्रोह हो सकता है। कौन जानता है, टीएमसी विधायक अचानक ममता बनर्जी के कामकाज के तरीके का पालन करने से इनकार कर सकते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ऐसा होगा। लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है।'
वैसे, बीजेपी नेताओं के बयानों से सवाल उठते हैं कि आख़िर वे किस वजह से सरकार गिरने की भविष्यवाणी कर रहे हैं? क्या उस तरह से जैसे महाराष्ट्र में हुआ, जहाँ तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी में टूट हुई और उन टूटे हुए विधायकों के साथ बीजेपी ने सरकार बना ली? या फिर कुछ इस तरह कि राज्य में हिंसा और संवैधानिक कर्तव्यों का हवाला देते हुए केंद्र बड़ा फ़ैसला ले ले?
वैसे, बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी तो सीधे केंद्र से दखल देने की मांग करते रहे हैं। उन्होंने पहले भी राज्य में अनुच्छेद 355 लागू करने की मांग करते हुए कहा था कि राज्य में केंद्रीय हस्तक्षेप ज़रूरी हो गया है। उन्होंने इसके पीछे पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा को वजह बताया था। सुवेंदु अधिकारी ने पीटीआई से कहा, 'हालाँकि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराया नहीं जा सकता है, लेकिन अगर वह संविधान में उल्लिखित अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहती है, तो उसे अराजकता में जाने से बचाने के लिए केंद्र को हस्तक्षेप करना होगा।'
तो क्या सच में सरकार पर कुछ इस तरह का ख़तरा है? भाजपा नेताओं की टिप्पणियों पर टीएमसी के राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता शांतनु सेन ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुवेंदु अधिकारी सहित ये सभी भाजपा नेता उस सरकार को धमकियां देकर दिल्ली में अपनी रेटिंग बढ़ाने के लिए बेताब हैं जिसे लोगों का मैनडेट मिला है। उन्होंने कहा, 'अगर पंचायत चुनावों में हार के बाद बीजेपी हताशा में कोई दुस्साहस करेगी तो राज्य की जनता उसे नाकाम कर देगी।' सेन ने कहा कि भाजपा नेताओं ने दिसंबर और जनवरी में इसी तरह की भविष्यवाणियां की थीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।