ब्रिटेन में लाखों लोग गुरुवार 4 जुलाई को महत्वपूर्ण आम चुनाव में ब्रिटिश राजनीति को नया आकार देने जा रहे हैं। जनमत सर्वे से कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी की भारी जीत का संकेत मिला है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी बुरी तरह हार सकती है।
ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक ने मतदाताओं से आखिरी मिनट में अपील जारी की। सुनक ने लेबर पार्टी को संभावित "सर्वोच्च बहुमत" न देने का आग्रह किया। सुनक ने ब्रिटिश मतदाताओं को डराते हुए कहा कि लेबर पार्टी आई तो इससे हाई टैक्स को बढ़ावा मिलेगा। स्टार्मर ने कंजर्वेटिव पार्टी की इन चेतावनियों को खारिज करते हुए उन पर लोगों को मतदान से हतोत्साहित करने की कोशिश का आरोप लगाया। लेबर नेता ने कहा, "यदि आप बदलाव चाहते हैं, तो आपको इसके लिए मतदान करना होगा।"
ब्रिटिश मतदाता इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में 650 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्याशियों का फैसला करेंगे। मतदान रात 10 बजे तक चलेगा। लगभग 40,000 केंद्रों पर 46 मिलियन पात्र मतदाता वोट डालने वाले हैं। चुनाव में एक नया मतदाता पहचान पत्र लाया गया है।
कीर स्टार्मर के अगले प्रधान मंत्री बनने की पूरी संभावना है। मतदान पूर्व सर्वे से पता चलता है कि उनकी वाम लेबर पार्टी ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव, जिन्हें टोरीज़ के नाम से भी जाना जाता है, को निर्णायक रूप से हरा देगी। स्टार्मर ने "आशा और अवसर के नए युग" का वादा किया है और कहा है कि वो "सरकार बनाने के लिए तैयार है।"
उम्मीद से पहले चुनाव का आह्वान करने वाले सुनक ने हाल के हफ्तों में अपनी चुनावी अभियान रणनीति में बदलाव किया है। उन्होंने लगातार पांचवीं जीत की उम्मीद छोड़ दी है और इसके बजाय लेबर पार्टी को स्पष्ट बहुमत पाने के खिलाफ चेतावनी देने पर ध्यान केंद्रित किया है। सुनक ने सोशल मीडिया पर मतदाताओं से आग्रह किया, "हमें लेबर के बहुमत को रोकने की जरूरत है जो आपके टैक्सों को बढ़ाएगा।"
हालात ये हैं कि सुनक को अपने यॉर्कशायर निर्वाचन क्षेत्र रिचमंड और नॉर्थहेलर्टन खोने का डर है। यह सीट जो उन्होंने 2019 में 27,000 वोटों के बहुमत के साथ हासिल की थी। द गार्जियन की रिपोर्ट है कि कंजर्वेटिव स्रोतों के खंडन के बावजूद, करीबी लोगों का कहना है कि सुनक कड़े मुकाबले को लेकर परेशान हैं।
2019 में पिछले आम चुनाव में बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी ने 80 सीटों का बहुमत हासिल करते हुए 365 सीटें जीतीं थीं। लेबर ने 202 सीटें, एसएनपी ने 48 और लिबरल डेमोक्रेट्स ने 11 सीटें जीतीं। इस बार, आठ वर्षों में आंतरिक कलह और पांच अलग-अलग प्रधानमंत्रियों द्वारा चिह्नित अवधि के बाद टोरीज़ को मतदाताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।