उत्तराखंड में शुक्रवार रात को हुए एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। रावत के बारे में कहा जा रहा है कि वह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। ऐसी चर्चा है कि रावत के साथ ही रायपुर सीट से विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत और किसी अन्य नेता के इस्तीफ़े से इनकार किया है।
उत्तराखंड में फिर से सरकार बनाने का सपना संजो रही बीजेपी को कुछ ही महीनों में यह एक और जोरदार झटका लगा है। अक्टूबर में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में वापसी की थी।
हरक सिंह रावत उन विधायकों में शामिल थे, जो 2016 में कांग्रेस से बग़ावत कर बीजेपी में शामिल हुए थे। रावत का उत्तराखंड की सियासत में बड़ा क़द है।
निश्चित रूप से रावत के जाने से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि रावत उन नेताओं में से हैं, जिनका राज्य में ठीक-ठाक सियासी आधार है। अगर हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस में शामिल होते हैं तो इससे कांग्रेस को बहुत मज़बूती मिलेगी।
बीजेपी में अस्थिरता
कुछ चुनावी सर्वेक्षणों में यह बताया जा चुका है कि उत्तराखंड में कांग्रेस बीजेपी को जोरदार टक्कर दे रही है। बीजेपी राज्य में तीन मुख्यमंत्री बदल चुकी है, इससे पता चलता है कि उसके भीतर कितनी राजनीतिक अस्थिरता है।
कांग्रेस के पास हरीश रावत के रूप में एक अनुभवी चेहरा है तो बीजेपी के चेहरे पुष्कर सिंह धामी के पास लंबा सियासी अनुभव नहीं है। यह चिंता बीजेपी हाईकमान को भी है कि रावत के मुक़ाबले धामी का चेहरा कमजोर दिख रहा है।
निश्चित रूप से यशपाल आर्य के बाद हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ के चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़कर जाने से बीजेपी को राज्य में बड़ा सियासी नुक़सान हो सकता है।