कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड की बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया है। राहुल ने शनिवार को कहा है कि उत्तराखंड में नौकरी माफिया का बोलबाला है। पटवारी, लेखपाल, पुलिस कांस्टेबल, फ़ॉरेस्ट गार्ड और अन्य कई पदों पर नौकरी पाने के लिए लोग जी-तोड़ मेहनत करते हैं। लेकिन बीजेपी सरकार में ग़रीब और मध्यम वर्ग के हिस्से की नौकरी पैसा लेकर अमीरों और सरकार के क़रीबी लोगों को बेची जा रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि नौकरियों में भ्रष्टाचार उत्तराखंड की विधानसभा तक आ पहुंचा है। भर्ती पर भर्ती, परीक्षा पर परीक्षा रद्द हो रही हैं और मुख्यमंत्री सिर्फ जांच का आदेश देकर अपनी नाकामी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
राहुल ने कहा है कि ऐसी नाकाम सरकार पद पर बने रहने का अधिकार खो चुकी है। उन्होंने कहा कि भर्तियों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस लड़ती रहेगी।
पेपर लीक घोटाला
उत्तराखंड सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने की वजह से बीते काफी दिनों से राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है। पेपर लीक मामले में हाकम सिंह रावत नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया है। रावत को बीजेपी नेताओं का करीबी बताया जाता है। रावत के बारे में कहा जाता है कि उसने बड़े पैमाने पर संपत्ति इकट्ठा की है। खबर है कि रक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर 10-10 लाख रुपये में पेपर बेचा गया। प्राथमिक जांच के बाद एसटीएफ ने छह अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पेपर लीक घोटाले के अलावा विधानसभा में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और इसमें कैबिनेट मंत्रियों के पीआरओ को नौकरी दी गई है। उत्तराखंड की विधानसभा में बीते वर्ष 129 भर्तियां हुई थीं।
जानकारी के मुताबिक़, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ओएसडी विनोद धामी की पत्नी एकांकी धामी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत, कैबिनेट मंत्री रेखा के पीआरओ गौरव गर्ग को विधानसभा में नियुक्ति दी गई है। इसके अलावा कई वीवीआईपी लोगों के रिश्तेदारों को भी नियुक्तियां दी गई हैं।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष करन माहरा ने आरोप लगाया है कि विधानसभा में हुई 129 भर्तियों में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गईं।
कांग्रेस की ओर से राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रिटायर्ड) को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों (वीपीडीओ) एवं अन्य पदों के लिए भर्तियों में 15-15 लाख रुपये लेकर पेपर लीक किए गए।
राज्यपाल से मिलकर बाहर आते कांग्रेस नेता।
ज्ञापन में कहा गया कि सहकारिता विभाग में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों और सहकारी बैंकों में 61 पदों पर हुई भर्तियों में भी गड़बड़ियां हुई हैं।
आम जनता पर पड़ रहा बोझ
माहरा ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा जहां 403 विधायक हैं, वहां कार्मिकों की संख्या उत्तराखंड की विधानसभा से कम है जबकि उत्तराखंड में सिर्फ 70 विधायक हैं और यहां कार्मिकों की संख्या 570 का आंकड़ा पार कर गई है। उन्होंने कहा कि इसका बोझ आम जनता पर पड़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जब मुख्यमंत्री बाकी भर्तियों को निरस्त कर रहे हैं तो विधानसभा में हुई भर्तियों को निरस्त क्यों नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। माहरा ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से सरकारी संस्थानों से आम लोगों का भरोसा टूट रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
इन घोटालों को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों की मांग है कि घोटालों में जब प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से किसी नेता/मंत्री का नाम आ रहा है तो स्पष्ट रूप से इनकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। लोगों का कहना है कि जांच के नाम पर सिर्फ छोटे कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है जबकि घोटाले में कई बड़े अफसर और राजनेता शामिल हैं, जिन्हें बचाया जा रहा है। वन, शिक्षा, सहकारिता सहित कई अन्य विभागों में भी भर्तियों में गड़बड़ी हुई है। युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं और प्रदेश में एक के बाद एक भर्तियों में घोटाले सामने आ रहे हैं।
लोगों ने मांग की है कि दारोगा भर्ती प्रकरण 2015 की जांच हाई कोर्ट के जज द्वारा होनी चाहिए क्योंकि इसमें बहुत सारे लोग बेनकाब होंगे।
सीबीआई, ईडी कब करेंगी कार्रवाई?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जमकर तारीफ की थी। बीजेपी का कहना है कि भ्रष्टाचार पर उसका जीरो टॉलरेंस है। विपक्ष शासित राज्यों बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल, झारखंड से लेकर दिल्ली तक केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं के घरों को ये जांच एजेंसियां खंगाल रही हैं।
लेकिन बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड में जब इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के आरोप लगाए जा रहे हैं तो वहां पर भी राज्य सरकार को इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश करनी चाहिए और केंद्रीय जांच एजेंसियों को गड़बड़ियों में शामिल लोगों की नकेल कसनी चाहिए। देखना होगा कि जांच एजेंसियां कब उत्तराखंड का रूख करती हैं।