भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 एक्सप्रेसवे पर उतर कर लड़ने का फैसला किया है और वह इस मामले में समाजवादी पार्टी समेत पूरे विपक्ष को पीछे छोड़ कर तेज़ रफ़्तार से लखनऊ की सरपट दौड़ लगाना चाहती है।
सीधे शब्दों में कहें तो बीजेपी ने यूपी चुनाव को ध्यान में रख कर ही पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की योजना बनाई और इसे पूरा करने की जल्दबाजी में भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे लाव लश्कर और तामझाम के साथ और अंग्रेजी शब्दावली में कहें तो हाई एंड ऑप्टिक्स का इस्तेमाल कर मंगलवार को इसका उद्घाटन भी कर दिया।
पर सबसे पहले हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि आख़िर यह पूर्वांचल एक्सप्रेस क्या चीज है।
340.8 किलोमीटर लंबी सड़क
लखनऊ ज़िले के गोसाईंगज के पास स्थित चाँद सराय गाँव से ग़ाज़ीपुर ज़िले के हैदरिया गाँव को जोड़ने वाली 340.8 किलोमीटर लंबी सड़क का नाम पूर्वांचल एक्सप्रेसवे रखा गया है। यह छह लेन वाली सड़क है, जिसे बढ़ा कर आठ लेन तक किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया और इस मौके पर मिराज 2000, जगुआर और सुखोई लड़ाकू विमान और एएन 32 जैसे परिवहन विमान को उतार कर इसे एक मेगा इवेंट में तब्दील कर दिया, लेकिन इस राजमार्ग की शुरुआत समाजवादी पार्टी की सरकार के ज़माने में ही हो चुकी थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मई 2015 में ही लखनऊ-आज़मगढ़-ग़ाज़ीपुर हाईवे की घोषणा कर दी थी। बीजेपी सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका रूट बदल दिया और प्रधानमंत्री ने 14 जुलाई 2018 को इसका दुबारा शिलान्यास किया।
गोरखपुर और पटना तक
यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस होगा और इस पर 22,494 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
एक अलग लिंक रोड बना कर इसे वाराणसी-आज़मगढ़ हाईवे से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा गोरखपुर लिंक रोड बना कर इसे गोरखपुर से जोड़ा जाएगा। ग़ाज़ीपुर को बक्सर से जोड़ने के लिए 17 किलोमीटर लंबा चार लेन वाला एक एलेवेटेड रोड भी बनाया जाएगा। बिहार के आरा और पटना जैसे शहर इस एक्सप्रेस वे से जुड़ जाएंगे।
यह सड़क लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुलतानपुर, अयोध्या, आंबेडकर नगर, मऊ होते हुए ग़ाज़ीपुर तक जाएगी, यानी उत्तर प्रदेश के नौ ज़िलों से गुजरेगी।
किसने बनाया?
राज्य सरकार की कंपनी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल अथॉरिटी ने इसे बनाया है और आठ चरणों में इस पर काम किया है।
बक्सर ग़ाज़ीपुर एलेवेटेड रोड बन जाने के बाद दिल्ली से पटना तक का सफर सुगम हो जाएगा और यह दूरी बहुत ही कम समय में पूरी की जा सकेगी।
इसके अलावा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एलान कर रखा है कि ग़ाज़ीपुर से आरा होते हुए पटना तक एक सड़क बनाई जाएगी।
इस एक्सप्रेसवे के साथ दिलचस्प बात यह है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों ही इसका श्रेय लेना चाहती हैं। इसके निर्माण का सच क्या है?
- उत्तर प्रदेश सरकार ने मई 2015 में लखनऊ से बलिया को जोड़ने के लिए एक एक्सप्रेसवे बनाने का एलान किया।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2015 में इसका विधिवत एलान किया और तीन महीने के अंदर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) जमा करने को कहा।
- सरकार ने नवंबर 2015 में प्रस्तावित लखनऊ-आज़मगढ़-बलिया हाईवे का नाम बदल कर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे कर दिया।
- सरकार ने फरवरी 2016 में इसके लिए 1,500 करोड़ रुपए आबंटित करने का एलान किया।
- तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिसंबर 2016 में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का शिलान्यास कर दिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जुलाई, 2018 को एक एक बार फिर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे एक नज़र में
- लंबाई : 340.824 किमी
- चौड़ाई 120 मीटर
- 22 फ़्लाइओवर
- सात बड़े पुल
- 114 छोटे पुल
- सात रेलवे ओवरब्रिज
- 45 अंडरपास
- छह टोल प्लाज़ा
- सुल्तानपुर में 3.20 किलोमीटर लंबा व 34 मीटर चौड़ा एयर स्ट्रिप
- 8 स्थानों पर फ्यूल पंप और 4 स्थानों पर सीएनजी स्टेशन
- 8 प्रसाधन ब्लॉक और 8 जनसुविधा परिसर
- हर 500 मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट का प्रावधान
- 4.5 लाख पौधों का रोपण