ऐसे समय जब उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं और लाखों उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं, हर तरह के चुनावी हथकंडे अपना रहे हैं और साम-दाम-दंड-भेद कुछ भी नहीं छोड़ रहे हैं तो सवाल उठना लाज़िमी है कि इसकी मुख्य वजह क्या है।
समाज सेवा और पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना कहने के लिए कारण हो सकते हैं, पर सच तो यह है कि सबकी नज़र उस बड़े बजट पर होती है, जो इस पंचायती राज व्यवस्था के साथ होता है।
शायद यह जान कर आपको ताज्जुब हो कि पंचायत विकास कोष का बजट कुछ मामलों में सांसद निधि कोष से भी ज़्यादा है। हर साल सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए पाँच करोड़ रुपए मिलते हैं। लेकिन कई मामलों में पंचायत क्षे विकास के लिए इससे ज़्यादा रकम मिलती है।
सांसद निधि से बड़ा बज़ट
इसे हम कुछ उदाहरण से समझ सकते हैं। स्थानीय अख़बारों में छपी खबरों के अनुसार, गोरखपुर के कई ऐसे गाँव हैं, जिनका बजट इससे ज्यादा हैं। गाँवों की विकास निधि बढ़कर करोड़ों में पहुँच गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़, अनुदान के मद में 37 ग्राम पंचायतों को 300 करोड़ रुपये दिए गए।
प्रदेश में सबसे ज्यादा 25.53 करोड़ की परफार्मेंस ग्रांट गोरखपुर के पिपरौली ब्लॉक की ग्राम पंचायत रानी सुहास कुंवरि को मिली है। इस ग्राम पंचायत को मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए चुना गया।
गाँव में स्मार्ट क्लास, जिम
यहाँ सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास, गाँव में आरओ प्लांट, ओपेन जिम, इंडोर जिम, बारात घर, पुस्तकालय जैसी परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई।
गोरखपुर के ही पिपराइच ब्लाक की ग्राम पंचायत रुद्रापुर को 17.63 करोड़ रुपए का अनुदान मिला।
बता दें कि यह रकम प्रधान को गाँव का विकास करने के लिए दी जाती है। इसके अलावा प्रधान को प्रति माह 3,500 रुपए का मानदेय दिया जाता है।
'हिन्दुस्तान' के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने मार्च 2020 में 73 ग्राम पंचायतों के लिए 699.75 करोड़ रुपए आबंटित किए। सरकार ने इसके बाद अप्रैल 2020 सभी ग्राम पंचायतों को 50-50 लाख की पहली किस्त भी दे दी। ग्राम प्रधान अगली किस्म माँगते, उसके पहले ही 25 दिसंबर को उनका कार्यकाल ख़त्म हो गया। लेकिन कुछ ग्राम प्रधान पूरा पैसा खर्च नहीं कर पाए, बचे हुए पैसे का इस्तेमाल उनके उत्तराधिकारी करेंगे।
क्या है परफार्मेंस ग्रांट
ग्राम पंचायतें यदि अपनी संपत्तियों से आय सृजन करती हैं तो सरकार की ओर से प्रोत्साहन के रूप में पैसे दिए जाते हैं। इसे ही अनुदान यानी परफार्मेंस ग्रांट कहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सभी ग्राम पंचायतों को ग्रांट के ज़रिए मॉडल ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करना चाहिए।