उत्तर प्रदेश में विधान परिषद (एमएलसी) के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है। एमएलसी की कुल 36 सीटों के लिए चुनाव हुआ था जिसमें से 9 सीटें बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत चुकी थी। चुनाव नतीजों के बाद कुल 36 सीटों में से 33 सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है। इन सीटों के लिए 9 अप्रैल को मतदान हुआ था।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी के लिए यह एक और बड़ा झटका है क्योंकि उसके एक भी उम्मीदवार को चुनाव में जीत नहीं मिली है जबकि बीजेपी के उम्मीदवारों ने कई सीटों पर सपा के उम्मीदवारों को बड़े अंतर से चुनाव हराया है।
वाराणसी में मिली हार
बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में झटका लगा है और वहां उसके उम्मीदवार डॉ. सुदामा पटेल निर्दलीय उम्मीदवार अन्नपूर्णा सिंह के हाथों चुनाव हार गए हैं। अन्नपूर्णा सिंह जेल में बंद बाहुबली बृजेश कुमार सिंह की पत्नी हैं।
बीजेपी ने देवरिया कुशीनगर की सीट जीत ली है। यहां से पार्टी के उम्मीदवार डॉ. रतन पाल सिंह ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार डॉ. कफील खान को चुनाव हराया है।
आगरा-फिरोजाबाद सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार विजय शिवहरे, अयोध्या सीट पर हरिओम पांडे, सीतापुर सीट पर पवन सिंह चौहान और बस्ती सीट पर सुभाष यदुवंश को जीत मिली है। इसके अलावा जौनपुर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार बृजेश सिंह, उन्नाव सीट से रामचंद्र प्रधान, बलिया सीट से रविशंकर सिंह पप्पू और बाराबंकी से अंगद सिंह ने जीत दर्ज की है।
आजमगढ़ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विक्रांत सिंह को जीत मिली है जबकि महराजगंज से बीजेपी उम्मीदवार सीपी चंद विजयी हुए हैं।
बीजेपी के अन्य उम्मीदवारों में मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से ओमप्रकाश सिंह और आशीष यादव, लखीमपुर खीरी से अनूप गुप्ता, हरदोई से अशोक अग्रवाल, बदायूं से अवधेश पाठक, बांदा-हमीरपुर से जितेंद्र सिंह सेंगर, अलीगढ़ से ऋषि पाल सिंह, सीतापुर से पवन सिंह, रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह, प्रयागराज से केपी श्रीवास्तव, फतेहपुर से अविनाश सिंह आदि शामिल हैं।
बीजेपी पहले ही विधान परिषद में स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र की 9 सीटें जीत चुकी है। ये सीटें बदायूं, हरदोई, खीरी, मिर्जापुर-सोनभद्र, बांदा-हमीरपुर, अलीगढ़, बुलंदशहर और मथुरा-एटा-मैनपुरी हैं।
कांग्रेस और बीएसपी ने इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारे थे इसलिए सीधी लड़ाई बीजेपी और सपा के बीच ही थी। कुछ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी मजबूती से चुनाव लड़ा और नतीजे उनके हक में रहे।
एमएलसी चुनाव के दौरान सपा के उम्मीदवारों का विरोध करने वाले कई नेताओं को पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
एमएलसी चुनाव में कई जगहों पर गड़बड़ी होने, सपा प्रत्याशियों के साथ मारपीट करने उनके पर्चे खारिज होने की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि एमएलसी के चुनाव में गड़बड़ी की जा रही है।