उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में एक नया व अजीब मोड़ आ गया है। मृतक अल्ताफ़ के पिता चाँद मियाँ ने कथित तौर पर कहा है कि उनके बेटे ने डिप्रेसन में आकर खुदकुशी कर ली है।
चाँद मियाँ ने कथित तौर पर एक चिट्ठी लिख कर पुलिस कासगंज थाने को दी है। उन्होंने इसमें लिखा है,
“
दिनांक 9-11-21 को मेरे पुत्र अल्ताफ़ ने डिप्रेशन में आकर फाँसी लगा कर आत्महत्या कर ली। उसको पुलिस वाले सीएससी उपचार हेतु अशोक नगर ले गए, जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।
मृतक अल्ताफ़ के पिता चाँद मियाँ के पत्र का अंश
उन्होंने इसके आगे लिखा है,
“
मुझे पुलिस वालों से कोई शिकायत नहीं है। न मैं न मेरा परिवार कोई कार्रवाई करना चाहता है, न ही भविष्य में कभी करेगा।
मृतक अल्ताफ़ के पिता चाँद मियाँ के पत्र का अंश
पुलिस का दबाव?
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, अल्ताफ की माँ फ़ातिमा और उसके चाचा हुसैन ने यह आशंका जताई है कि चाँद मियाँ ने पुलिस के दबाव में आकर अपना बयान बदला है और वह वही कह रहे हैं, जो पुलिस ने पहले कहा था।
फ़ातिमा ने 'आजतक' से कहा, "मुझे नहीं पता अब उन्होंने ऐसा क्यों कहा है। हमें इंसाफ नहीं मिला है… उन्हें डराया होगा, धमकाया गया होगा। लड़की के पिता ने (पुलिस को) पैसा भरा होगा।"
क्या है मामला?
याद दिला दें कि उत्तर प्रदेश के एटा के पास कासगंज ज़िले के एक थाने में मंगलवार को एक मुसलिम युवक की मौत हो जाने पर यूपी पुलिस पर गंभीर सवाल उठे। पुलिस ने दावा किया था कि युवक ने खुद फांसी लगाई है, लेकिन युवक के परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर मौत के लिए संदेह व्यक्त किया था। मृतक युवक के पिता ने कहा था कि उन्होंने खुद अपने बेटे को पुलिस वालों को सौंपा था और अब उन्हें मौत की जानकारी दी गई है।
पुलिस ने कोतवाली कासगंज में 22 वर्षीय युवक अल्ताफ की मौत के मामले में बयान जारी किया था। उसने कहा था कि इस मामले में लापरवाही बरतने पर पाँच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस का कहना है कि अल्ताफ को पिछले हफ्ते 'एक महिला के अपहरण और जबरन शादी' से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार सुबह पुलिस थाने लाया गया था।
इस मामले में पुलिस ने वीडियो बयान जारी किया है। उस वीडियो में कासगंज के पुलिस प्रमुख रोहन प्रमोद बोथरे ने दावा किया कि उस व्यक्ति ने हवालात में बने 'वाशरूम जाने के लिए कहा'। अधिकारी ने कहा कि कुछ देर बाद जब वह नहीं लौटा तो पुलिस अंदर गई और उसे अचेत पाया।
उन्होंने कहा है, 'उसने काले कलर की जैकेट जो पहनी थी और उसके हुड में लगे नाड़े को वाशरूम में लगे नल से फँसाकर अपना गला घोंटने की खुद से कोशिश की। जब वह बहुत समय बाहर नहीं आया तो पुलिसकर्मी अंदर चले गए। उसको बेहोशी की हालत में कासगंज के एक अस्पताल में ले जाया गया। वहाँ पर प्राथमिक उपचार 5-10 मिनट चलने के बाद उसकी मृत्यु हो गई।'
पुलिस पर उठते सवाल
पुलिस के इन दावों के ख़िलाफ़ परिवार वाले सवाल उठा रहे हैं। पुलिस के दावों के ख़िलाफ़ अल्ताफ के पिता चांद मियां ने कहा, 'मैंने आठ बजे अपने बच्चे को खुद अपने हाथों से पकड़कर पुलिस के हवाले किया अपने घर में से। पुलिस वाले कह रहे थे कि किसी लड़की के मामले में शक है इस पर। मैं चौकी तक गया था, लेकिन मुझे चौकी से भगा दिया गया। 24 घंटे बाद मुझे पता चल रहा है कि फांसी लगा दी है मेरे बच्चे को। ...मैंने पुलिस वालों के हवाले किया तो मुझे लगता है कि उन्होंने ही लगाई है।'
अल्ताफ के पिता के वीडियो बयान को विनोद कापड़ी ने ट्वीट किया है। उन्होंने पूछा है कि आख़िर उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है और अल्ताफ़ को इंसाफ कौन देगा?
पुलिस के बयान पर परिवार वालों के अलावा सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। पूछा जा रहा है कि आख़िर नाड़े से वाशरूम के नल में कोई फाँसी कैसे लगा सकता है। यूथ कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बी वी ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या आरोपी की लंबाई 1-2 फ़ीट थी?
कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने तंज कसते हुए कहा है कि कुछ तो भरम बचा रहने दीजिए क़ानून व्यवस्था का।
फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह ने पूछा है कि क्या किसी के पास आँकड़ा है कि आज़ादी से अब तक पुलिस की क़ैद में कितने लोग मरे हैं?
वैसे, उत्तर प्रदेश पुलिस कई मामलों में सवाल उठते रहे हैं। कुछ महीने पहले गोरखपुर में पुलिस कार्रवाई के दौरान एक होटल में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी। उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि एक वरिष्ठ निरीक्षक के नेतृत्व में छह पुलिसकर्मियों ने उनके होटल के कमरे में घुसकर गुप्ता के साथ मारपीट की। पुलिस ने कथित तौर पर उन्हें अस्पताल ले जाने में भी देरी की थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस का इस मामले में कहना था कि गोरखपुर के उस होटल के एक कमरे में तीन युवक संदिग्ध, अलग-अलग शहरों से आए थे। इस सूचना पर पुलिस ने होटल मैनेजर को साथ में लेकर कमरे की चेकिंग करने गई जहाँ पर हड़बड़ाहट में एक युवक की कमरे में गिरने से चोट लग गई थी। बाद में परिजनों के आरोप लगाने पर और विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने पर काफी दबाव बढ़ा था और तब पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई।