समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को बुधवार को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने 2019 के हेट स्पीच मामले में बरी कर दिया है। रामपुर की अदालत ने एक निचली अदालत के फ़ैसले को पलट दिया। निचली अदालत ने समाजवादी पार्टी के नेता को पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाते हुए की गई टिप्पणी के मामले में हेट स्पीच का दोषी पाया था।
आजम ख़ान ने प्रधानमंत्री पर देश में ऐसा माहौल बनाने का आरोप लगाया था जिसमें 'मुसलमानों को रहना मुश्किल हो गया है'।
पिछले साल अक्टूबर में रामपुर की एक अदालत ने नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में आजम ख़ान को तीन साल कैद और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। उनकी सजा के एक दिन बाद ही यूपी विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने उनकी अयोग्यता और रामपुर सदर सीट के खाली होने की घोषणा कर दी थी।
वैसे, आजम के ख़िलाफ़ उस मामले में वह कार्रवाई हुई थी जिसमें उन्होंने 7 अप्रैल 2019 को ग्राम खटानगरिया में भाषण दिया था। एफआईआर के अनुसार आजम को हिंदी में कहते हुए उद्धृत किया गया है, 'मोदीजी, आपने भारत में ऐसा माहौल बनाया है कि मुसलमानों के लिए जीवन मुश्किल हो गया है। वे अवसाद में जी रहे हैं।'
चुनावी अभियान के दौरान उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, 'आप (मुसलमान) उन लोगों से बदला लीजिए जो आपको पिल्ला और कुत्ता कहते हैं।' बता दें कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से 2013 के एक साक्षात्कार में एक सवाल पूछा गया था कि क्या उन्हें 2002 की हिंसा पर खेद है, इस पर उन्होंने कहा था कि 'अगर कोई और कार चला रहा है और हम पीछे बैठे हैं, तब भी अगर एक पिल्ला पहिया के नीचे आता है, दर्द होगा या नहीं?'
बहरहाल, इस मामले में एक सरकारी वकील ने कहा है कि विशेष अदालत ने आजम खान की सजा के खिलाफ दायर अपील को स्वीकार कर लिया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार आजम के वकील विनोद शर्मा ने कहा, 'हम हेट स्पीच के मामले में बरी हो गए हैं। हम खुश हैं कि हमें न्याय मिला है। हमारा तर्क है कि हमें मामले में फंसाया गया था, अदालत ने इसे बरकरार रखा है और फैसला हमारे पक्ष में है।'
आजम खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव हुआ। बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने सपा के असीम राजा को हराया। असीम राजा आजम खान के करीबी सहयोगी थे। तो सवाल है कि क्या अब आजम की विधायकी बहाल होगी? अदालत से ताज़ा राहत मिलने के बावजूद आजम ख़ान की विधानसभा सदस्यता फिलहाल बहाल होना मुश्किल है, क्योंकि अवैध रूप से मार्ग जाम करने के मामले में मुरादाबाद की एक अदालत ने आजम और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम को इसी साल दो-दो वर्ष की सजा सुनाई है। इसके बाद अब्दुल्ला की भी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई है।
बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से समाजवादी नेता आजम पर भ्रष्टाचार और चोरी से लेकर जमीन हड़पने तक के 87 मामले दर्ज किए गए हैं।