उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक परिवार पर दबिश दी और फिर उस घर में तीन महिलाओं ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। परिजन ने आरोप लगाया है कि पुलिस की बर्बरता के कारण उनका परिवार तबाह हो गया। परिजन ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस ने पत्नी और बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया और इतनी प्रताड़ना की कि वे जान देने को मजबूर हो गईं। इस मामले में हंगामा काफ़ी ज़्यादा बढ़ने के बाद पुलिस ने अब उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने का मामला दर्ज कर किया है। इस मामले में आरोपी उपनिरीक्षक नरेशपाल को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने इसको लेकर बयान जारी किया है।
यह मामला बागपत ज़िले के बाछौड़ गांव का 24 मई का है। एक दलित लड़की के अपहरण के आरोपी की तलाश में 24 मई को पुलिस महक सिंह के घर पर दबिश देने गई थी।
दरअसल, 3 मई को गांव के दलित समुदाय से आने वाले कांतिलाल ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि ओबीसी समुदाय के महक सिंह के 24 वर्षीय बेटे प्रिंस ने उनकी 22 वर्षीय बेटी का अपहरण कर लिया है। उन्होंने यह रिपोर्ट तब दर्ज कराई थी जब दोनों गांव से लापता हो गए थे।
इसी मामले में 24 मई की शाम पुलिस अधिकारी नरेशपाल महक सिंह के घर पहुंचे। वह प्रिंस के बारे में पूछ रहे थे। महक सिंह की एफ़आईआर के अनुसार वह उस समय घर पर नहीं था। महक के छोटे भाई सुनील ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'महक के घर का मेन गेट अंदर से बंद था तो पुलिसकर्मी कांतिलाल के दोनों बेटों के साथ मेरे घर में जबरन घुस आए और पिछले दरवाजे को तोड़कर और छत का इस्तेमाल कर महक के घर में घुस गए। न मेरा भाई और न ही उसका बेटा मौजूद थे। पुलिस के साथ कोई महिला कांस्टेबल भी नहीं थी। उन्होंने तीन महिलाओं को पीटा, बार-बार पूछ रहे थे कि प्रिंस कहाँ छिपा है।'
रिपोर्ट के अनुसार सुनील की पत्नी मोहिनी ने कहा, 'उसने धमकी दी कि अगर पुलिस ने उन्हें परेशान करना बंद नहीं किया तो परिवार जहर खा लेगा, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं रुके। तीनों ने चूहों को मारने वाला कीटनाशक निगल लिया।'
महक सिंह की पत्नी और दो बेटियों की जहर खाने से मौत हो गई। 18 वर्षीय बेटी स्वाति की बुधवार शाम मेरठ के एक अस्पताल में मौत हो गई थी, जबकि 16 वर्षीय बेटी प्रीति और 45 वर्षीय पत्नी अनुराधा की गुरुवार सुबह मौत हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, महक सिंह ने आरोप लगाया था कि छापेमारी के दौरान कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था, जबकि उस समय घर में केवल महिलाएं थीं।
ग्रामीणों द्वारा विरोध और नाकेबंदी करने के बाद, जिलाधिकारी राज कमल यादव सहित प्रशासनिक अमला गांव में पहुँचा। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन ने 71 लाख रुपये के मुआवजे का आश्वासन दिया है।
हाथरस के एसपी नीरज जादौन ने कहा, 'एक प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और निष्पक्ष जांच के लिए अपराध शाखा को जांच सौंपी गई है।'