बेहद शातिर और कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम के साथ उस रात क्या-क्या हुआ, पूरी घटना को टीम में शामिल रहे एक पुलिस अफ़सर ने बयां किया है। ये पुलिस अफ़सर कानपुर जिले के बिठूर पुलिस स्टेशन के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह हैं। कौशलेंद्र ख़ुद भी इस मुठभेड़ में घायल हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है। इस मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
कौशलेंद्र ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि बिकरू गांव में हुई इस घटना को लेकर पुलिस को क़तई अंदाजा नहीं था कि वहां पर मुठभेड़ जैसी स्थिति आ सकती है, इसलिए पुलिसकर्मियों के पास हथियार और बारूद जैसा कोई सामान नहीं था।
कौशलेंद्र ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘आसपास के थानों के मामलों में, हम एक-दूसरे की मदद करते हैं। घटना वाले दिन मुझे एसओ, चौबेपुर ने सूचना दी थी कि दबिश में चलना है और हम रात 12.30 बजे निकल गए थे और 1 बजे वहां पहुंच गए थे। पुलिस टीम में सीओ, बिल्हौर और एसओ, शिवराजपुर और अन्य पुलिसकर्मी भी थे।’
कौशलेंद्र ने आगे कहा, ‘गाड़ियों को 200 मीटर पहले ही पार्क करने के बाद हम लोग पैदल जाने लगे। लेकिन रास्ते में विकास ने जेसीबी इस तरह लगा रखी थी कि एक बार में एक ही व्यक्ति जा सके। जैसे ही हम जेसीबी को पार करके उसके घर के नजदीक पहुंचे, हमारे ऊपर चारों ओर से ताबड़तोड़ फ़ायरिंग होने लगी।’
उन्होंने कहा कि इसमें तीन सिपाहियों को गोली लगी, हम लोग इधर-उधर बिखर गए और छिपने की कोशिश की। एसओ ने कहा कि उनके साथ टीम में शामिल दो सिपाही घायल हो गए थे, उन्हें बचाने के लिए हम लोग एक ट्राली के पीछे छुप गए और जवाबी फ़ायरिंग की।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, कौशलेंद्र ने कहा, ‘दुबे के लोग पूरी तरह तैयार थे। सभी लोग सेमी ऑटोमैटिक हथियारों से लैस थे और वे तकरीबन 15-20 लोग थे। दूसरी ओर, हमारे पास असलहा तक नहीं था।’
एसओ, बिठूर ने कहा, ‘दुबे के गैंग को पुलिस की रेड के बारे में पहले से ही सूचना मिल चुकी थी और उसने अपनी पूरी तैयारी कर रखी थी। यहां तक कि लाइट भी इस तरह लगाई गई थी कि रोशनी पुलिसकर्मियों पर पड़े न कि बदमाशों पर। उस दौरान हम उन्हें देख नहीं सके।’
विकास दुबे को पुलिस के आने की सूचना देने के शक में उत्तर प्रदेश पुलिस चौबेपुर पुलिस स्टेशन के स्टेशन अफ़सर विनय तिवारी को सस्पेंड कर चुकी है। कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा है कि तिवारी के ख़िलाफ़ लगे आरोपों के चलते उन्हें सस्पेंड किया गया है और आरोपों की गंभीरता से जांच की जा रही है।
विनय तिवारी के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा कहना ग़लत होगा क्योंकि हम सब लोग एक साथ आगे बढ़ रहे थे।
8 पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद सरकार और प्रशासन इस मामले में बेहद सख़्त है। घटना के अगले दिन विकास दुबे के घर को जेसीबी से ढहा दिया गया था और इस दौरान वहां खड़ी कई गाड़ियों को भी पुलिस ने चकनाचूर कर दिया था। बताया गया है कि विकास दुबे इस घर से अपना आपराधिक साम्राज्य चला रहा था।
विकास दुबे बेहद शातिर बदमाश है। उसका नाम पहली बार चर्चा में तब आया था, जब उसने 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की पुलिस थाने के अंदर हत्या कर दी थी।
दुबे के बारे में कहा जाता है कि उसकी सभी राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ है और वह जिला पंचायत का सदस्य भी रह चुका है। कई पार्टियों के नेता पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनावों में दुबे की मदद लेते रहे हैं।
दुबे का कानपुर के आसपास के इलाक़ों में ख़ौफ़ माना जाता है और कहा जाता है कि उसके पास बदमाशों की एक अच्छी-खासी टीम है। दुबे को कानपुर के रिटायर्ड प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे की हत्या में उम्र क़ैद की सजा हो चुकी है। विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं।