तालिबान पर बयान को लेकर एसपी सांसद बर्क़ के ख़िलाफ़ देशद्रोह का केस दर्ज

01:12 pm Aug 18, 2021 | सत्य ब्यूरो

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत कायम होने के बाद भारत में भी माहौल बेहद गर्म है। तालिबान के समर्थन में बयान देने वालों को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर तकरार हो रही है। उत्तर प्रदेश की संभल सीट से एसपी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क़ ने तालिबान के कब्जे की तुलना भारत के आज़ादी के आंदोलन से की है। 

इस बयान को लेकर बर्क़ के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। 

संभल के एसपी चरकेश मिश्रा ने कहा कि राजेश सिंघल की शिकायत पर यह मुक़दमा दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि तालिबान भारत सरकार के द्वारा घोषित एक आतंकवादी संगठन है और इस तरह के बयान देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं। 

उन्होंने कहा कि बर्क़ के अलावा दो अन्य लोगों ने भी फ़ेसबुक पर ऐसी ही टिप्पणी की है। इन लोगों के विरूद्ध भी देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है। 

बर्क़ ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था, “हमारा देश जब अंग्रेजों के कब्जे में था तब सारा हिंदुस्तान आज़ादी के लिए लड़ रहा था, वहां भी अमेरिका ने कब्जा किया था तो वे भी अपने देश को आज़ाद कराना चाहते हैं, तालिबान वहां एक ताक़त है और उसने अमेरिका के पैर वहां नहीं जमने दिए।” बर्क ने कहा था कि ये तालिबान का व्यक्तिगत मामला है, इसमें वे क्या दख़ल देंगे। 

बर्क ने दी सफाई 

हालांकि अब उन्होंने एएनआई के साथ बातचीत में अपने बयान पर सफाई दी है और कहा है कि वह वहां के रहने वाले नहीं हैं, तालिबान से उनका कोई वास्ता नहीं है तो वे इस मामले में राय देने वाले कौन होते हैं। बर्क ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। 

‘तुष्टिकरण का रहा है चरित्र’

उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि एसपी, बीएसपी और कांग्रेस का चरित्र ही तुष्टिकरण का रहा है। मौर्य ने कहा, “एसपी में कुछ भी हो सकता है। उनकी पार्टी में ऐसे भी लोग हैं, जो जन-गण-मन नहीं गा सकते। कुछ लोग तालिबान का समर्थन कर सकते हैं, बाक़ी लोग पुलिस जब आतंकवादियों को पकड़ती है तो उस पर इल्जाम लगा सकते हैं।” 

उन्होंने बर्क़ के इस बयान की तुलना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से की है। इमरान ने तालिबान को 'गुलामी की जंजीरें तोड़ने वाला' क़रार दिया था। 

अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल तक अमेरिकी सेनाओं ने मोर्चा संभाला था लेकिन इस साल की शुरुआत में उन्होंने वहां से वापसी करना शुरू कर दिया था। इसके बाद तालिबान तेज़ी से आगे बढ़ा और उसने मुल्क़ की सत्ता को अपने हाथ में ले लिया।