ये बात सही है कि उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ है लेकिन इस तर्क से यहां की सरकार को इस मामले में नहीं बख़्शा जा सकता कि वह कोरोना से निपटने में फ़ेल रही है। बड़ा प्रदेश है तो मशीनरी भी बड़ी है, ज़्यादा सरकारी अमला है, ज़्यादा हाथ हैं। उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के बदइंतजामों पर आम लोगों की नाराज़गी तो आपने देखी ही, बीजेपी के नेता भी कई बार खुलकर योगी सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी जता चुके हैं।
यहां ये भी याद रखना होगा कि बीते एक साल में कोरोना से बीजेपी के कई सांसद-विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों को जान से हाथ धोना पड़ा है। बीते 15 दिनों में ही उत्तर प्रदेश बीजेपी के चार विधायकों की कोरोना के चलते मौत हुई है।
उत्तर प्रदेश में बदइंतजामी को लेकर अब आवाज़ उठाई है केंद्रीय मंत्री और बहुत वरिष्ठ नेता संतोष सिंह गंगवार और लखीमपुर खीरी के विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह ने। इससे पहले लखनऊ मध्य के विधायक और मंत्री बृजेश पाठक ने बदइंतजामियों को लेकर सरकार को चेताया था।
गंगवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि बरेली में ऑक्सीजन की कमी है और वेंटिलेटर्स सहित कई चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी हो रही है।
गंगवार ने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के अफ़सर फ़ोन नहीं उठाते, जिससे कोरोना के मरीजों के लिए हालात मुश्किल बनते जा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि बरेली के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स और कोरोना के मरीजों को रेफ़र किए जाने की प्रक्रिया को और सरल बनाए जाने की ज़रूरत है।
विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी में कहा है कि वे चाह कर भी अपने लोगों को नहीं बचा पा रहे हैं। विधायक ने लिखा है कि ऐसा कोई गांव नहीं हैं, जो कोरोना की चपेट में न हो और लखीमपुर जनपद में ऑक्सीजन की बहुत कमी है और इस वजह से लोग मर रहे हैं।
यूपी में कोरोना को लेकर बने हालात पर देखिए चर्चा-
मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर ने भी लखनऊ प्रशासन पर आरोप लगाया था कि कोरोना के मरीजों की मदद करने के लिए जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है, उसमें से अधिकांश लोगों के फोन बंद हैं और लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
इसी तरह फिरोज़ाबाद जिले के जसराना से बीजेपी विधायक रामगोपाल उर्फ पप्पू लोधी ने वीडियो जारी कर कहा है कि उनकी पत्नी को बहुत मुश्किल से एक अस्पताल में बेड मिला है और यहां बहुत ही ख़राब हालात हैं। लोधी की पत्नी को कोरोना हुआ है।
पिछले महीने मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा) को पत्र लिखकर अस्पतालों, एंबुलेंस, जांचों की खस्ता हालत का जिक्र किया था। पाठक ने पत्र में लिखा था कि लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी का पहले तो फोन तक नहीं उठता था और अब जो उठने लगा तो सुनवाई नहीं होती है।
इसके अलावा भी कुछ और नेता लगातार बदइंतजामियों की शिकायत स्थानीय स्तर पर कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनावों ने हालात बेहद गंभीर कर दिए हैं। कोरोना को लेकर भी और बीजेपी के भविष्य को लेकर भी।
जब सत्ता में बैठी पार्टी के विधायक-सांसद, पदाधिकारियों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं तो आम लोगों का इस कोरोना में क्या हाल है, इसका अंदाजा लगाने की ज़रूरत नहीं है, सोशल मीडिया से लेकर टीवी-अख़बारों में सब छप-दिख चुका है, छप-दिख रहा है।
कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में लंबा लॉकडाउन लगाया गया है लेकिन बावजूद इसके हालात बहुत नहीं सुधरे हैं। कोरोना काल की ये बदइंतजामियां, लापरवाही अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ सकती हैं, यह कहने से इनकार नहीं किया जा सकता।