यूपी: उद्योगों की खस्ता हालत के बीच योगी सरकार के रोज़गार देने के दावों पर सवाल

07:14 pm Jun 27, 2020 | कुमार तथागत - सत्य हिन्दी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सवा करोड़ लोगों को रोज़गार देने का दावा किया। ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोज़गार अभियान’ के नाम से चलाई गई इस मुहिम में मनरेगा के तहत 60 लाख, छोटे व मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के जरिए 40 लाख और मुद्रा योजना के तहत कर्ज देकर व एक जिला एक उत्पाद योजना के जरिए 25 लाख लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराने की बात कही गयी है। 

लेकिन योगी सरकार के इस दावे पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस की प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने इसे हवा-हवाई बताते हुए यूपी की खस्ता हालत बयान की। बीते कुछ समय से बीजेपी के पक्ष में अनुकूल बयान दे रहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती इस दावे पर चुप हैं।

उत्तर प्रदेश में जहां मनरेगा के तहत गांवों में 60 लाख रोज़गार दे देने का दावा क्षणिक और गरीबों-मजदूरों को कोई खास राहत देने वाला नहीं है, वहीं पहले से ही तमाम संकटों से जूझ रहे एमएसएमई सेक्टर में 40 लाख नए लोगों को रोज़गार दे देने की बात भी उद्योग जगत में ही किसी के गले नहीं उतर रही है। 

ज़्यादातर श्रमिकों की हो चुकी है छुट्टी 

उत्तर प्रदेश में ज्यादातर छोटे व मझोले उद्यमों का हालत पतली है। कोरोना संकट से पहले ही मंदी की मार झेल रहे उद्योगों में लॉकडाउन के बाद बेहिसाब श्रमिकों की छंटनी हुई है और बड़ी तादाद में मजदूर अपने घरों को भी लौट गए हैं। सिल्क, कालीन, पीतल, कांच जैसे कुछ उद्योगों में मजदूरों की कमी नहीं है पर ऑर्डर न होने की वजह से उन्हें काम नहीं मिल रहा है। 

अकेले बनारस के सिल्क उद्योग में एक लाख अकुशल मजदूरों की छंटनी हो गयी है। कानपुर के टैनरी उद्योग में यही हाल है। जिन एमएसएमई में पहले से काम कर रहे मजदूरों को नौकरी पर बनाए रखा गया है, वहां वेतन में 10 से 50 फीसदी की कटौती की गयी है।

लॉकडाउन की पड़ी मार 

उत्तर प्रदेश में करीब 400 से ज्यादा टैनरियां अकेले कानपुर शहर में हैं। कानपुर को देश भर में चमड़े का हब माना जाता है। लॉकडाउन से पहले ही पर्व स्नान के चलते दो महीने से ज्यादा समय से टैनरियां बंद थीं और फिर लॉकडाउन में बंद रहीं। लॉकडाउन के बाद जब टैनरियों को खोला गया तो सरकार ने इन्हें शिफ्ट के आधार पर चलाने का आदेश जारी कर दिया। अभी हाल यह है कि कानपुर शहर में एक समय में केवल 100 टैनरियां ही चल रहीं हैं। यहां काम करने वाले तीन से चार लाख मजदूरों में एक तिहाई के पास ही काम है। 

मकदूम टैनर्स के मालिक नैय्यर जमाल का कहना है कि बहुत से लोग तो अब अपनी मशीनें वगैरह बेच कर जा रहे हैं। टैनर्स इरफान का कहना है कि मालिक के लिए अपनी रोजी-रोटी चलाना मुश्किल है वह पुराने मजदूरों की बहाली कहां से करेगा।

आगरा की जूता मंडी में सन्नाटा 

तैयार जूतों की देश की सबसे बड़ी मंडी आगरा में थोक व फुटकर बाजारों में सन्नाटा है। जूते के दस्तकार घर बैठे हैं। यहां बिजलीघर मंडी व हींग मंडी में जूतों की देश की सबसे बड़ी बाजार लगती थी जहां दस्तकार अपना माल लाकर बेचते थे। दोनो मंडियां सन्नाटे में हैं। न बाहर के खरीददार आ रहे और न ही पर्यटक। अकेले आगरा में दो लाख जूते बनाने वाले घर बैठे हैं।

कालीन उद्योग का हाल बुरा, निर्यात शून्य 

कालीन उद्योग का हाल भी इससे जुदा नहीं है। उत्तर प्रदेश के भदोही में हाथ से बनने वाले कालीन का 99 फीसदी हिस्सा विदेशों को जाता है। बीते कई महीनों से निर्यात के ऑर्डर नहीं हैं। जो पहले के ऑर्डर थे, वो भी रद्द होने लगे हैं। आने वाले समय में भी हालात सुधरने की उम्मीद नजर नहीं आती है। 

कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (सीईपीसी) के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह का कहना है कि यहां भी कारीगर तो इफरात में हैं पर काम नहीं है। विदेशों में खासकर यूरोप व अमेरिका में सबसे ज्यादा भदोही की कालीन बिकती थीं पर वहां बाजार और शोरुम बंद हैं। पुराने ऑर्डर रद्द होने लगे हैं। तमाम कालीन निर्यातकों का पैसा फंसा है। उत्तर प्रदेश से हर साल 1200 करोड़ रुपये का कालीन विदेशों को भेजा जाता है।

प्रियंका से लेकर अखिलेश ने साधा निशाना 

योगी सरकार के सवा करोड़ रोज़गार देने के दावों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कर कहा, ‘यूपी में रोज़गार के एक इवेंट की खूब ढोल पीट कर शुरुआत हुई है। इस इवेंट में रोज़गार की जिन भी श्रेणियों की बात की गई उनमें ज़्यादातर की हालत पतली है। स्वरोज़गार वाले लोग सरकार से सीधे आर्थिक मदद के अभाव में जबरदस्त संकट में हैं। छोटे और मझोले क्षेत्र के उद्योगों की हालत तो इतनी पतली है कि एक अनुमान के अनुसार 62 फीसदी एमएसएमई नौकरियों में और 78 फीसदी तनख्वाहों में कटौती करेंगे।’ 

प्रियंका ने कहा, ‘यूपी में देखें तो चिकन उद्योग, वुडवर्क, पीतल उद्योग, पावरलूम सेक्टर, दरी उद्योग की हालत पतली है। अभी हाल ही में बुंदेलखंड में बाहर से आए प्रवासी मजदूरों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं हमारे सामने हैं।' 

प्रियंका ने कहा कि कानपुर में आर्थिक तंगी व रोज़गार न होने की वजह से आत्महत्या की दुखद घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उन्होंने सवाल पूछा, 'ऐसे में यूपी सरकार क्या ढकने का प्रयास कर रही है क्या केवल प्रचार से रोज़गार मिलेगा'

‘रोज़गार देने का ड्रामा’

अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी ने सवा करोड़ लोगों को रोज़गार देने का ऐसा ड्रामा किया जिसकी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है। एसपी प्रमुख ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार कई इन्वेस्टमेंट मीट करा चुकी, कई एमओयू होने की खब़रें छपीं, लेकिन अभी तक कहीं एक भी कारखाना लगने की सूचना नहीं है। किसी बैंक ने किसी उद्योगपति को लोन नहीं दिया। कहीं भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई नहीं शुरू हुई।’ 

अखिलेश ने कहा, ‘आत्मनिर्भर रोज़गार का दूसरा झूठ यह है कि यहां पहले से कुम्हार, हलवाई, राजमिस्त्री आदि अपने धंधे करते रहे हैं। नोटबंदी के बाद लाॅकडाउन ने उनका कामकाज ठप कर दिया है। प्रदेश की बीजेपी सरकार लघु और छोटे उद्योगों की केवल प्रेस विज्ञप्तियों में चिंता करती है अन्यथा उसका सारा ध्यान बड़े उद्योगपतियों की आवभगत में रहता है।’