सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने संजय सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज सभी मुक़दमों में उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। संजय सिंह के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कई जिलों में एफ़आईआर दर्ज की थीं। संजय सिंह ने इन एफ़आईआर को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रूख़ किया था।
संजय सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने शीर्ष अदालत से कहा कि चूंकि संजय सिंह राज्यसभा के सदस्य हैं इसलिए उनके ख़िलाफ़ अभियोग चलाने के लिए राज्यसभा के चेयरमैन की अनुमति ज़रूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि संजय सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज आपराधिक मुक़दमों में उनकी गिरफ़्तारी नहीं की जानी चाहिए और उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में राज्यसभा के चेयरमैन के पास जा सकती है।
तन्खा ने कहा कि ये सभी एफ़आईआर एक जैसी हैं और 14 जगहों पर दर्ज की गई हैं। इस पर अदालत ने कहा कि हमने इस बारे में नोटिस जारी किया है कि क्यों न इन सभी एफ़आईआर को एक जगह क्लब कर दिया जाए। अब इस मामले में मार्च के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने संजय सिंह पर जाति आधारित सर्वे करा कर प्रदेश का माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए कई संगीन धाराओं में भी एफ़आईआर दर्ज की हैं। योगी सरकार ने पार्टी के राज्य मुख्यालय के दफ्तर को भी खाली करा दिया था।
अलीगढ़ और लखीमपुर खीरी में दर्ज एफ़आईआर को लेकर पुलिस ने कहा था कि आप नेता पर आरोप है कि वह नफरत फैला रहे हैं और कई जातियों को राज्य सरकार के ख़िलाफ़ उकसा रहे हैं। संजय सिंह के अलावा पार्टी के नेता सुभाजीत सिंह और बृज कुमारी पर भी आईपीसी की धारा 153बी और 505 के तहत अलीगढ़ में एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं।
देखिए, संजय सिंह से बातचीत
जातिगत सर्वे से नाराज हैं योगी
बीते साल उत्तर प्रदेश में टेलीफोन पर लोगों के बीच एक सर्वे कराया गया था जिसमें लोगों से योगी सरकार के जातिवादी रवैये पर राय मांगी गयी थी। आप सांसद संजय सिंह ने इस सर्वे को अपनी ओर से कराए जाने की जानकारी देते हुए बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर इसके नतीजों का खुलासा किया था।
संजय सिंह ने योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी करार देते हुए एक जाति विशेष के पक्ष में काम करने वाला बताया था। इस सर्वे को लेकर कुपित सरकार ने पुलिस से इसकी छानबीन करने को कहा था। सर्वे में सामने आए नंबर 744717843 की छानबीन से पता चला कि यह संजय सिंह ने ही कराया है। इसके बाद मुक़दमा दर्ज कर संजय सिंह को 41 (ए) के तहत नोटिस भेजा गया था।