दूसरे चरण के स्टार प्रचारकों में एसपी ने जोड़ा मुलायम सिंह का नाम 

08:05 pm Mar 24, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

समाजवादी पार्टी ने रविवार सुबह लोकसभा चुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों के नामों की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम नहीं था। इसे लेकर जब मीडिया में ख़बरें चलीं और एसपी की फजीहत हुई तो पार्टी ने शाम को एक और लिस्ट जारी कर मुलायम सिंह यादव का नाम जोड़ दिया। पार्टी की ओर से चुनाव आयोग को भेजी गई सूचना में दूसरे चरण के लिए होने वाले चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों के नामों की घोषणा में मुलायम सिंह का नाम शामिल किया गया है।

स्टार प्रचारकों की सूची में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, आज़म ख़ान, जया बच्चन और राम गोपाल यादव समेत कई अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं। 

आज़मगढ़ से लड़ेंगे अखिलेश

इसके अलावा 2014 में मुलायम सिंह यादव जिस आज़मगढ़ सीट से चुनाव जीते थे, उस सीट से अब अखिलेश यादव चुनाव मैदान में उतरेंगे जबकि अखिलेश ने पहले कहा था कि वह कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे। सपा ने जब यह घोषणा की थी कि मुलायम सिंह यादव इस बार मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगे, तभी से यह संभावना जताई जा रही थी कि अखिलेश आज़मगढ़ की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी ओर, रामपुर से पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान चुनाव लड़ेंगे। 

उत्तर प्रदेश में एसपी, बीएसपी और आरएलडी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। गठबंधन होने से मुलायम ख़ासे नाराज़ हुए थे। हाल ही में लखनऊ में पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मुलायम सिंह ने कहा था कि एसपी को अपनी ही पार्टी के लोग ख़त्म कर रहे हैं।

मुलायम ने बीएसपी के साथ गठबंधन करने और लगभग आधी सीटें देने पर अखिलेश यादव को ज़िम्मेदार ठहराया था। मुलायम ने कहा था कि एसपी ने तीन बार यूपी में अपने दम पर सरकार बनाई है, लेकिन यहाँ तो लड़ने से पहले ही आधी सीट दे दी गईं।

लेकिन मुलायम की नाराज़गी से इतर बसपा सुप्रीमो मायावती एक ओर जहाँ एसपी प्रत्याशियों के लिए वोट माँगेंगी वहीं अखिलेश यादव बीएसपी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। 

गठबंधन की रणनीति के मुताबिक़, मायावती मैनपुरी में रैली कर मुलायम, फ़िरोज़ाबाद में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के लिए वोट माँगेंगी तो अखिलेश आगरा, सहारनपुर, अलीगढ़ में बीएसपी प्रत्याशियों के समर्थन में रैली करेंगे। गठबंधन के नेताओं का कहना है कि बीजेपी के फैलाए गए इस दुष्प्रचार कि एसपी-बीएसपी का वोट ट्रांसफ़र नहीं होगा, इसकी काट के लिए एक-दूसरे की सीटों में रैलियाँ कराई जाएँगी। 

दरअसल, 1993 में यूपी विधानसभा चुनावों के लिए एसपी-बीएसपी ने गठबंधन किया था और उसे  सत्ता मिली थी। बाद में गेस्टहाउस कांड के चलते दोनों दलों में तल्ख़ी इस कदर बढ़ी कि दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन बैठे। लेकिन बीते साल फूलपुर, गोरखपुर और कैराना लोकसभा उपचुनाव में 25 साल बाद दोनों दल एक बार फिर साथ आ गए थे। 

मोदी सरकार के लोकसभा में आख़िरी दिन जब मुलायम सिंह ने कहा था, ‘जितने सदस्य इस बार जीत कर आए हैं, वे दोबारा जीत कर आएँ और मोदी जी दोबारा प्रधानमंत्री बनें’, तो इसे सुनकर लोग चौंक गए थे। मुलायम के इस बयान के कई मायने निकाले गए थे। 

2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीएसपी, एसपी और कांग्रेस तीनों को ही क़रारी हार मिली थी। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसे अकेले दम पर 71 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को 2, एसपी को 5 सीटें मिली थीं और बीएसपी का तो खाता ही नहीं खुल सका था। उसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 403 में से 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बीएसपी, एसपी और कांग्रेस की हालत ख़राब हो गई थी। उसके बाद से ही यह माना जा रहा था कि तीनों दल लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर सकते हैं लेकिन कांग्रेस को गठबंधन में जगह नहीं मिल सकी।