मुकेश सहनी को क्यों रोक रही है योगी सरकार?

03:07 pm Jul 26, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

बिहार की एनडीए सरकार में भागीदार विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी रविवार को उत्तर प्रदेश आए थे। लेकिन यहां जो कुछ उनके साथ हुआ, वो उनके और पूरी पार्टी के लिए बेहद ख़राब अनुभव रहा और ख़ुद सहनी ने इस पर ख़ासी नाराज़गी जताई। सहनी ने कुछ दिन पहले एलान किया था कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में 165 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उत्तर प्रदेश में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। 

पहले जानते हैं कि सहनी के साथ हुआ क्या। सहनी के रविवार दौरे वाले दिन यानी कि 25 जुलाई को पूर्व सांसद फूलन देवी की पुण्यतिथि थी। इस मौक़े पर उनकी पार्टी की ओर से फूलन देवी की ढेर सारी मूर्तियां बनाकर रखी गई थीं और कहा गया था कि इन्हें उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में लगाया जाएगा। 

ऐसे ही एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए जब मुकेश सहनी वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचे तो प्रशासन ने उन्हें एयरपोर्ट से बाहर ही नहीं निकलने दिया। घंटों इंतजार करने के बाद सहनी हवाई मार्ग के जरिये कोलकाता एयरपोर्ट से होते हुए रात को पटना पहुंचे। 

पटना में उन्होंने योगी सरकार के इस क़दम पर खासी नाराज़गी जताई और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र पर नहीं चल रही है। उन्होंने दोहराया कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 165 सीटों पर चनाव लड़ेगी और आने वाले समय में फूलन देवी के विचारों को हर घर में पहुंचाएगी।

उन्होंने इस बात का भी दम भरा कि आने वाले वक़्त में वे उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर फूलन देवी की मूर्तियां लगवाएंगे। सहनी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह डर उन्हें अच्छा लगा है। 

हालांकि उत्तर प्रदेश की पुलिस ने मूर्तियां न लगने देने के पीछे उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 2008 में बनाए गए एक क़ानून का हवाला दिया जिसके तहत कोई भी धार्मिक, राजनीतिक या किसी नामचीन शख़्स की मूर्ति को लगाने से पहले ऊपरी स्तर से अनुमति लेने की ज़रूरत होती है, चाहे वह मूर्ति आप अपनी प्राइवेट ज़मीन में ही क्यों न लगाएं। 

पुलिस के मुताबिक़, कुछ लोगों ने वाराणसी में स्थित सुजाबाद शिव मंदिर के पास फूलन देवी की मूर्ति लगाने का विरोध किया था। इसके अलावा कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों के उल्लंघन का भी हवाला दिया गया था। 

पुलिस के मुताबिक़, कुछ लोगों ने वाराणसी में स्थित सुजाबाद शिव मंदिर के पास फूलन देवी की मूर्ति लगाने का विरोध किया था। इसके अलावा कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों के उल्लंघन का भी हवाला दिया गया था। 

लेकिन जिस तरह एनडीए में शामिल एक सहयोगी दल के मंत्री को पुलिस ने एयरपोर्ट से ही नहीं निकलने दिया, उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या योगी सरकार मुकेश सहनी के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के एलान से डर रही है।

मुकेश सहनी ने दावा किया है कि उनके साथ उत्तर प्रदेश के 24 निषाद संगठन हैं। हाल ही में उनकी पार्टी ने लखनऊ में अपना कार्यालय खोला है। ख़ुद को सन ऑफ़ मल्लाह बताने वाले मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को बिहार के विधानसभा चुनाव में 4 सीटों पर जीत मिली थी जबकि सहनी ख़ुद विधान परिषद के सदस्य हैं। 

संजय निषाद

संजय निषाद हैं नेता 

उत्तर प्रदेश में निषादों की राजनीति करने वाला दल निषाद पार्टी है। इसके अध्यक्ष संजय निषाद इन दिनों बीजेपी से नाराज़ हैं क्योंकि उनके सांसद बेटे प्रवीण निषाद को मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। हालांकि कहा जा रहा है कि संजय निषाद को योगी कैबिनेट के विस्तार में जगह दी जा सकती है। 

पूर्वांचल में है असर  

निषाद समाज (मल्लाह) के ज़्यादातर लोग मछली पकड़ने के काम से जुड़े हैं। गोरखपुर में इस समाज की तादाद 15 फ़ीसदी से ज़्यादा है। इसके अलावा महाराजगंज, जौनपुर और पूर्वांचल के कुछ और इलाक़ों में भी निषाद वोटरों का अच्छा प्रभाव माना जाता है। उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 14 फ़ीसदी मानी जाती है। 

कुछ महीने पहले जब पुलिस ने मल्लाहों की नाव तोड़ दी थी तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तुरंत प्रयागराज पहुंच गई थीं। एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मल्लाहों के समर्थन में आवाज़ उठाई थी। बीजेपी को बैकफ़ुट पर आते हुए तुरंत इस मामले में जांच के आदेश देने पड़े थे। 

हो सकता है कि मुकेश सहनी के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के एलान के बाद बीजेपी को चिंता हो कि इससे उसका सियासी नुक़सान हो सकता है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के कारण वह खासी परेशान है और अगर मुकेश सहनी ने थोड़ा-बहुत नुक़सान भी पूर्वांचल में पहुंचाया तो इसके उसकी नाव में सुराख हो सकता है।