लखीमपुर: मीडिया को पता है लेकिन मंत्री पुत्र को गिरफ़्तार नहीं कर रही पुलिस

08:29 pm Oct 04, 2021 | सत्य ब्यूरो

लखीमपुर खीरी में किसानों और बीजेपी नेताओं के बीच हुए संघर्ष के बाद एक ही सवाल आम लोगों की जुबां पर है कि आख़िर इस मामले में आरोपी मंत्री पुत्र की गिरफ़्तारी कब होगी। सवाल जायज भी है क्योंकि मंत्री पुत्र मीडिया को बाइट दे रहे हैं, अपनी बात रख रहे हैं लेकिन हैरानी की बात है कि पुलिस उन तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसा क्या उनके पिता के सियासी रसूख की वजह से है, यह सवाल ज़रूर उठता है।  

बताना होगा कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कार से कथित रूप से किसानों को रौंद दिया। इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 4 किसान भी शामिल हैं। 

बहरहाल, मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को भले ही पुलिस गिरफ़्तार नहीं कर पा रही है लेकिन मिश्रा सोमवार को सामने आए और एनडीटीवी से बातचीत की। मिश्रा ने कहा कि उन पर लगे वे आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं, जिनमें कहा गया है कि वह उस काफिले में शामिल थे, जिसमें शामिल गाड़ियों ने कथित रूप से किसानों को रौंद दिया। 

मिश्रा ने कहा कि उस दौरान वह पूरे दिन दंगल के एक कार्यक्रम में थे। उन्होंने इस बात को जोर देकर कहा कि वह कार में नहीं थे और हमारे कार्यकर्ता उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को तीन गाड़ियों से लेने गए थे। लेकिन हमारे काफिले में शामिल गाड़ियों पर हमला कर दिया गया। 

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का हक़ है और झंडे लहराने का भी लेकिन यह सब शांतिपूर्ण होना चाहिए। 

यहां सवाल अब उत्तर प्रदेश की पुलिस और योगी सरकार से ही है कि क्या मीडिया को बाइट दे रहे एक शख़्स के बारे में पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों को पता नहीं है। पुलिस ने लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए आशीष मिश्रा के ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज कर लिया है। 

देश भर में किसान संगठनों के साथ ही विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं की भी मांग है कि आशीष मिश्रा को जल्द से जल्द गिरफ़्तार किया जाना चाहिए। लेकिन आख़िर पुलिस इसमें क्यों देर कर रही है, राजनीति की समझ रखने वाला कोई भी आम इंसान इसे आसानी से समझ सकता है।  

आर्थिक सहायता देगी सरकार

उधर, लखीमपुर खीरी में हुई इस घटना को लेकर योगी सरकार ने फ़ैसला लिया है कि रिटायर्ड जज इस मामले की जांच करेंगे। यह भी फ़ैसला लिया गया है कि घटना में मारे गए किसानों के परिजनों को 45 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी। इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश का राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है और विपक्षी दल योगी सरकार पर टूट पड़े हैं।