समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोमवार को कन्नौज में अपना चुनाव प्रचार शुरू करने से पहले बाबा गौरी शंकर मंदिर में जाकर पूजा की। उनके साथ भारी तादाद में सपा कार्यकर्ता मौजूद थे। अखिलेश के जाने के बाद भाजपाई युवक वहां पहुंचे और उन्होंने पूरे मंदिर की गंगा जल से सफाई की। भाजपाइयों ने कहा कि अखिलेश ने गैर सनातनियों के साथ मंदिर में पूजा करके उसे अपवित्र कर दिया है। इसलिए इसे धोना जरूरी है।
अखिलेश के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 21 मार्च 2017 को यूपी के अखबार पीटीआई और अन्य समाचार एजेंसियों की इन खबरों और फोटो से भरे हुए थे कि यूपी के मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास 7, कालिदास मार्ग, लखनऊ का 20 मार्च 2017 को शुद्धिकरण किया गया है। क्योंकि अब इसमें नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहने आ रहे हैं। खबरों में बताया गया था कि हिंदू संतों और पुजारियों ने आज (20 मार्च 2017) यहां मुख्यमंत्री बंगले में पवित्र शुद्धिकरण अनुष्ठानों के लिए विस्तृत व्यवस्था की। योगी आदित्यनाथ जिन्होंने यूपी के 21वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, फिलहाल वीवीआईपी गेस्ट हाउस में हैं और बंगले के शुद्धिकरण अनुष्ठान के बाद ही बंगले में प्रवेश करने का फैसला हुआ।
मैनपुरी में क्या हुआ था
मैनपुरी से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव प्रत्याशी हैं। मंगलवार 7 मई को वहां वोट डाले जा रहे हैं। लेकिन मैनपुरी में एक ऐसी घटना हुई, जिससे यहां का माहौल खराब करने की कोशिश हुई। दरअसल, क्षत्रिय समाज के लोग भाजपा से नाराज चल रहे हैं। वे जगह-जगह विरोध कर रहे हैं। लेकिन मैनपुरी में जब महाराणा प्रताप की मूर्ति पर जाकर कुछ सपा कार्यकर्ताओं ने जाकर पूजा की तो भाजपा ने आरोप लगाया कि सपा कार्यकर्ताओं ने महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थल पर तोड़फोड़ की। उसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने जाकर उस मूर्ति को धोया। उन्होंने सपा पर क्षत्रिय विरोधी होने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर अखिलेश यादव ने सोमवार को कन्नौज में प्रतिक्रिया दी। अखिलेश ने कहा- “महाराणा प्रताप जी का सभी सम्मान करते हैं और किसी ने उनका अपमान नहीं किया। लेकिन एक साजिश के तहत, भाजपा और मुख्यमंत्री कार्यालय ने घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग करने के लिए पत्रकारों को भेजा। यह तय है कि बीजेपी का सफाया हो जाएगा. इसीलिए साजिश रची गई है और जिन सपा कार्यकर्ताओं ने महाराणा प्रताप जी के पक्ष में नारे लगाए उन्हें जेल भेज दिया गया और जिन्होंने समाजवादियों को गाली दी और बूथ लूटने की धमकी दी, भाजपा उनका सम्मान कर रही है।“
कन्नौज और मैनपुरी की घटनाएं खबर के नजरिए से मामूली हो सकती हैं लेकिन चुनाव में ऐसी कोई भी घटना चिंगारी का रूप ले सकती है। खास बात यह है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ऐसी घटनाओं का संज्ञान नहीं ले रहा है। विपक्षी दलों ने भाजपा नेताओं के कुछ बयान सबूत सहित चुनाव आयोगो को भेजे हैं, जिनमें कुछ लोगो बूथ लूटने की बात कह रहे हैं। लेकिन आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
मार्च 2017 की लखनऊ की घटना और अब 6 मई 2024 की कन्नौज की घटना बताती है कि भाजपा की सोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है। समाजवादी पार्टी के लोगों ने इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि कन्नौज की घटना भाजपा की उसी सोच को दर्शाती है कि यह पार्टी सिर्फ उच्च जाति के सवर्णों की पार्टी है, जहां दलितों और ओबीसी जातियों की हद तय है। भाजपा सिर्फ उन्हें इस्तेमाल करना जानती है। चंचल सोशलिस्ट ने सोशल मीडिया पर यही सवाल उठाया है कि क्या भाजपा ये मानती है कि पिछड़े,दलित लोगों को मन्दिर में पूजा करने का आधिकार नहीं है?
सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रिया से पता चलता है कि लोगों ने इसे पसंद नहीं किया है। एक्स पर आलोक यादव ने सवाल किया है कि बहुजन समाज कब सुधरेगा समझ नहीं आता।
आशुतोष सिंह इशु ने एक्स पर लिखा है- कन्नौज में @yadavakhilesh जी के बाबा गौरीशंकर मंदिर में दर्शन करने के बाद BJP कार्यकर्ताओं ने मंदिर को गंगाजल से साफ़ किया। दलित और पिछड़े कितना भी हिन्दू बन लें उनकी नज़र में रहेंगे अछूत ही। वोट आपका फैसला आपका। पिछड़ा वर्ग के लिए BJP की ये घृणित सोच है।
डॉ शिवाकांत गौतम ने एक्स पर लिखा है- जब इनके (अखिलेश) साथ मनुवादियों का ये सलूक है, तब आम दलित,पिछड़ों को क्या कुछ रोजाना झेलना पड़ता होगा।
अंकुर यादव ने एक्स पर दैनिक जागरण की खबर को शेयर करते हुए लिखा है- कन्नौज की कल की घटना ने पूरी तरह से हिला के रख दिया, जिस भेदभाव के बारे में बड़ों से सुना था या किताबों में पढ़ा था आज वैसा ही होते देखा है। जब देश के सबसे ताकतवर प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री, 3 बार के सांसद, 3 बार के मुख्यमंत्री और रक्षामंत्री के पुत्र के साथ ऐसा व्यवहार हुआ।
कन्नौज में मंदिर धोने की घटना पर सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया का दौर जारी है। यहां हमने सिर्फ कुछ प्रतिक्रियाओं को दिया है। इन प्रतिक्रियाओं से यह भी पता चल रहा है कि सबसे ज्यादा यादव समुदाय और कुछ हद तक दलित समुदाय के लोग इस घटना पर भाजपा विरोधी टिप्पणी कर रहे हैं। इससे चुनाव के रुख का अंदाजा लगाया जा सकता है।