अमेठी: दलित प्रधान के पति को जिंदा जलाया, मौत 

06:19 pm Oct 30, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचार की अंतहीन दास्तां है। हाथरस, बलरामपुर सहित कई जगहों पर दलित युवतियों के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हुईं। हाथरस में तो अभियुक्तों को निर्दोष बताते हुए बीजेपी के नेताओं की सभाएं तक हुईं। फिलहाल, सीबीआई हाथरस मामले की जांच कर रही है और इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। पीड़ित परिवार इंसाफ़ की उम्मीद लगाए बैठा है। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात का दावा करते नहीं थकते कि प्रदेश में हर व्यक्ति सुरक्षित है। लेकिन दलितों पर हो रहे अत्याचार की तमाम घटनाएं उन्हें पूरी तरह झूठा साबित करती हैं। 

ताज़ा घटना अमेठी में हुई है, जहां शुक्रवार को एक दलित शख़्स को जिंदा जला दिया गया। बुरी तरह जल चुके इस शख़्स को लखनऊ रेफ़र किया गया लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। बताया गया है कि पैसे के विवाद को लेकर ये घटना हुई। इस शख़्स का नाम अर्जुन कोरी था और उनकी पत्नी का नाम छोट्टका है। छोट्टका ग्राम प्रधान हैं। यह घटना मुंशीगंज पुलिस थाने के बंदोइया गांव में हुई। 

ग्राम प्रधान छोट्टका ने कहा है कि उनके पति को पहले पांच-छह लोगों ने जमकर पीटा और उसके बाद जिंदा जला दिया। उन्होंने बताया कि यह घटना पैसे के विवाद को लेकर हुई। अमेठी के एसपी दिनेश सिंह ने कहा कि परिजनों ने पांच लोगों के ख़िलाफ़ तहरीर दी है और हत्या का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। 

चित्रकूट में बलात्कार

8 अक्टूबर को चित्रकूट में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ दरिंदगी की गई। यह घटना चित्रकूट कोतवाली इलाक़े के कैमरहा का पूर्व नाम के गांव में हुई है। नाबालिग के परिजनों ने कहा था कि उनकी बेटी शौच के लिए खेतों में गई थी, जहां से तीन लोगों ने उसे अगवा कर लिया और फिर बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद नाबालिग के हाथ-पांव बांधकर उसे एक नर्सरी में फेंक दिया। 

आज़मगढ़ में दलित प्रधान की हत्या 

इसी साल अगस्त महीने में आज़मगढ़ में सत्यमेव जयते नाम के दलित ग्राम प्रधान की हत्या कर दी गई थी। सत्यमेव जयते के भतीजे लिंकन ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा था कि यह हत्या जातीय नफ़रत की वजह से हुई। उन्होंने कहा था कि सवर्ण लोग एक दलित शख़्स के प्रधान बनने और उनके सामने खड़े होने को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। 

अगस्त में ही गोरखपुर से दलित उत्पीड़न की एक घटना सामने आई थी, जिसमें एक नाबालिग के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया था और हैवानियत की हदें पार करते हुए उसके बदन को सिगरेट से दाग दिया था। इस मामले में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था। 

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में आम आदमी की हिफ़ाजत की जिम्मेदारी करने में योगी सरकार पूरी तरह विफल रही है। सवाल यह है कि योगी सरकार अपनी जिम्मेदारी से कब तक भागेगी।