बीजेपी ने उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म मामले में अभियुक्त अरूण सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार बनाया तो सोशल मीडिया से लेकर आम जन में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। दुष्कर्म मामले की पीड़िता ने ख़ुद एक वीडियो जारी कर बीजेपी से अपील की थी कि पार्टी को अरूण सिंह का टिकट वापस ले लेना चाहिए।
जबकि आम लोगों ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली इस पार्टी का असली चेहरा भी यही है। बैकफ़ुट पर आई पार्टी ने तुरंत अरूण सिंह का टिकट काटकर दूसरे बीजेपी नेता शकुनि सिंह को दे दिया।
लेकिन ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने अरूण सिंह को टिकट यूं ही दे दिया होगा। उसने सोच-समझकर ही जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे आला पद के लिए उसे उम्मीदवार बनाया था। ये तो दुष्कर्म पीड़िता के वीडियो के बाद मीडिया में इसे लेकर हो-हल्ला मचा तो पार्टी को मज़बूरी में यह क़दम उठाना पड़ा।
संगीता सेंगर को भी दिया था टिकट
अरूण सिंह को उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराये गये पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का क़रीबी बताया जाता है। इससे पहले बीजेपी ने कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर को भी मैदान में उतार दिया था और तब भी इसका काफी विरोध हुआ था और पार्टी को टिकट वापस लेना पड़ा था।
अरूण सिंह को टिकट मिलने पर दुष्कर्म पीड़िता ने एक वीडियो जारी कर बीजेपी को ख़ूब खरी-खोटी सुनाई थी और पूछा था कि वह उसके साथ है या कुलदीप सेंगर के साथ।
‘अरूण सिंह से जान को ख़तरा’
पीड़िता ने वीडियो में कहा था, “बीजेपी दोषियों को टिकट दे रही है। मेरे पिता की हत्या में अरूण सिंह नामजद है और वह मेरी जान के लिए ख़तरा बना हुआ है। मैं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से निवेदन करती हूं कि मेरे दोषियों को बीजेपी टिकट न दे और उनसे टिकट वापस ले ले।”
पीड़िता ने कहा था कि सामूहिक दुष्कर्म मामले में और उसके पिता की हत्या में अरूण सिंह शामिल है। इन लोगों ने हमारे पूरा परिवार को बर्बाद कर दिया है और सरकार अभी भी दोषियों का साथ दे रही है।
पीड़िता ने आगे कहा था कि एक ओर सरकार कहती है कि दोषियों को जेल के अंदर किया जाए और दूसरी ओर दोषियों को टिकट दे रही है।
दुष्कर्म पीड़िता ने आरोप लगाया था कि जून, 2017 में जब वह नौकरी मांगने तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के आवास पर गई थी तो सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता के परिवार ने कहा था कि बलात्कार मामले में विधायक और उसके साथियों ने पुलिस में शिकायत नहीं करने के लिए उन पर दबाव बनाया था।
पीड़िता के पिता को पीटा था
विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर व उसके साथियों ने पीड़िता के पिता के साथ मारपीट की थी और इसके बाद पुलिस हिरासत में पिता की मौत हो गई थी। मौत से पहले पीड़िता के पिता का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि विधायक के भाई और उसके गुर्गों ने उन्हें पीटा था।
सेंगर का राजनीतिक रसूख
चाहे संगीता सेंगर को पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनाना हो या फिर अरूण सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर टिकट देना, बीजेपी ने सोच-समझकर यह किया था क्योंकि वह कुलदीप सेंगर के राजनीतिक प्रभाव का फ़ायदा उठाना चाहती थी। सेंगर का इस इलाक़े में जबरदस्त राजनीतिक रसूख है। हालांकि विरोध के बाद उसे दोनों टिकट वापस लेने पड़े।
कुलदीप सिंह सेंगर के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कुलदीप सेंगर से सीतापुर जेल में मुलाक़ात की थी। इस इलाक़े में सेंगर के ‘चेलों’ का भी बहुत ख़ौफ़ है।
पंचायत चुनाव में करारी शिकस्त
पंचायत चुनाव में बीजेपी पस्त हो चुकी है, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो उसकी सियासी ज़मीन खिसक चुकी है। वह समाजवादी पार्टी से काफी पीछे रही है। इसे लेकर पार्टी में हड़कंप का माहौल है और बीते कुछ दिनों में हुआ सियासी घटनाक्रम इसकी गवाही देता है।
पंचायत चुनावों में मिली हार को बीजेपी यह कहकर दबा देना चाहती है कि अधिकतर जिला पंचायतों में अध्यक्ष पद पर उसके प्रत्याशियों को जीत मिली है। इसके लिए वह साम-दाम, दंड-भेद का खुलकर सहारा ले रही है, ऐसी ख़बरें उत्तर प्रदेश में कई जगहों से आ रही हैं।