उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक कार्यक्रम में एक पत्रकार के साथ धक्का-मुक्की के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया है। इसे लेकर बीजेपी और एसपी आमने-सामने आ गए हैं। उत्तर प्रदेश और नेशनल मीडिया से जुड़े पत्रकार भी ट्विटर पर इस घटना पर अपनी राय ज़ाहिर कर रहे हैं। हंगामे से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
अखिलेश गुरूवार को मुरादाबाद में थे। वह एसपी के एक कार्यक्रम में प्रेस कॉन्फ्रेन्स के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। इस दौरान अखिलेश ने एक पत्रकार से कहा कि वे बीजेपी से कब सवाल पूछेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेन्स के बाद जब अखिलेश मंच से नीचे आए तभी एक निजी चैनल के पत्रकार के साथ सपाइयों की बहस हुई। पत्रकार ने आरोप लगाया कि उसके साथ बदसलूकी और मारपीट की गई है।
एक वायरल वीडियो में दिख रहा है कि अखिलेश भी इस दौरान बीच में आ गए और उन्होंने पत्रकार से कहा कि वह बीजेपी के लिए काम न करें। हंगामा बढ़ने पर सुरक्षाकर्मियों ने अखिलेश को घेर लिया और थोड़ी देर में अखिलेश वहां से चले गए।
ट्विटर पर हंगामा
इस घटना को लेकर ट्विटर पर हंगामा शुरू हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा, “लाल टोपी वाले सपाई गुंडों ने सवाल पूछने पर पत्रकारों को बुरी तरह पीटा, धमकाया, कई घायल। गेस्ट हाऊस कांड के बाद यूपी के इतिहास का सबसे कलंकित दिन।” उन्होंने कहा कि अभी ये सत्ता से बाहर हैं, तब इतनी गुंडई, सोचिए सत्ता में रहते वक़्त कितना नशा रहा होगा।
त्रिपाठी को जवाब अखिलेश के निजी सचिव गजेंद्र सिंह ने दिया और ट्वीट कर कहा कि बीजेपी सरकार अखिलेश यादव की सुरक्षा से खिलवाड़ करना बंद करे। उन्होंने आरोप लगाया कि साज़िश के तहत पहले अखिलेश का एनएसजी कवर हटाया, रैलियों में सुरक्षा कम की और अब मुरादाबाद में प्रेस वार्ता के बाद अराजकता फैलवाई।
मुक़दमों की याद दिलाई
गजेंद्र सिंह ने इस घटना को लेकर अखिलेश पर सवाल उठा रहे बीजेपी के अन्य नेताओं को योगी सरकार में पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज हुए मुक़दमों की याद दिलाई। उन्होंने इसमें मिड-डे मील के नाम पर नमक-रोटी परोसे जाने की ख़बर दिखाने पर पत्रकार पवन जायसवाल के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज होने, उन्नाव में पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की दिन-दहाड़े हत्या होने, ग़ाज़ियाबाद में पत्रकार विकास जोशी की हत्या होने सहित कई और ख़बरों का जिक्र किया।
घटना को लेकर कई पत्रकारों ने पत्रकार के साथ हुई धक्का-मुक्की की निंदा की तो कुछ ने कहा कि सत्ता पक्ष से सवाल न करने के कारण पत्रकारों और पत्रकारिता की साख गिरती जा रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कम का वक़्त बचा है, ऐसे में लगभग हर मुद्दे पर एसपी और बीजेपी भिड़ते रहते हैं।