उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल (एस) को इस बार चुनाव में ज़्यादा सीटें चाहिए। अपना दल (एस) ने इसके साफ संकेत दिए हैं। इसे बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है।
बीते महीने तक इस बात की संभावना थी कि ओम प्रकाश राजभर फिर से बीजेपी के पाले में लौट सकते हैं। राजभर के लौटने पर तब शायद अनुप्रिया पटेल ज़्यादा सीटों की मांग नहीं कर पातीं। लेकिन अब राजभर सपा के साथ हैं, इसलिए सही मौक़ा देखकर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दांव खेल दिया है कि उन्हें इस बार ज़्यादा सीटें दी जानी चाहिए।
2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल (एस) को 11 सीटें दी गई थीं और उसने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी।
अपना दल (एस) का कुर्मी वोटों के बीच अच्छा आधार माना जाता है और अनुप्रिया पटेल इन दिनों पूर्वांचल के अलावा बुंदलेखंड में भी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जा रही हैं। वह कहती हैं कि इस बार के चुनाव में अपना दल (एस) बड़ी भूमिका के रूप में दिखाई देगा।
अनुप्रिया पटेल कहती हैं कि वह बीजेपी के साथ ही हैं। पत्रकारों के इस सवाल पर कि क्या वह बीजेपी के साथ ही रहेंगी, वह कहती हैं कि भविष्य में क्या होगा, इस बारे में कुछ नहीं कह सकतीं।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी अनुप्रिया के बीजेपी से दूर जाकर कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की चर्चा थी लेकिन तब अमित शाह ने उन्हें और उनके पति आशीष पटेल को मना लिया था।
बीजेपी के पास उत्तर प्रदेश में दो सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी हैं। लेकिन सपा के लगतार बढ़ते कुनबे के कारण उसकी सियासी चिंताएं बढ़ रही हैं।