विपक्षी दलों के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर में धरने पर बैठे किसानों से मुलाकात की। इन सांसदों ने किसानों से बात की और उनकी स्थिति पर चिंता जताई।
शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर ने कहा, "जेल में भी लोगों को खाना, पानी और बिजली दी जाती है। यहाँ तो ऐसा लग रहा है मानो आन्दोलनकारी किसानों को मौत की ओर धकेला जा रहा है।"
इसके पहले किसानों से मिलने ग़ाज़ीपुर गए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को उत्तर प्रदेश पुलिस ने रोक दिया था।
हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर कहा कि 'बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार की ज़्यादती देखिए कि वह सांसदों को भी रोक देती है। हमें धरना स्थल से तीन किलोमीटर पहले ही उतरना पड़ा।'
हरसिमरत कौर ने कहा, 'हम यहाँ इसलिए आए हैं ताकि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कर सकें। स्पीकर हमें इस मुद्दे को उठाने नहीं दे रहे हैं। अब सभी पक्ष इस बात का विवरण देंगे कि यहाँ क्या हो रहा है।'
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और उनके साथ न्याय होना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'हम सभी किसानों का समर्थन करते हैं, हम सरकार से किसानों के साथ बातचीत करने का अनुरोध करते हैं।'
दूसरी ओर, संसद में कृषि क़ानूनों पर बहस चल रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चल रही बहस में ही कृषि क़ानूनों का मुद्दा उठाया गया है। सरकार या सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने अब तक कोई संकेत नहीं दिया है कि वह किसानों की माँग मानने को तैयार है।
क्या है मामला?
बता दें कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दो महीने से अधिक समय से हज़ारों किसान ग़ाज़ीपुर सीमा पर धरना पर बैठे हुए हैं। ये तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की माँग पर अड़े हुए हैं जबकि केंद्र सरकार ने साफ कह दिया कि इन क़ानूनों को किसी कीमत पर वापस नहीं लिया जाएगा।स्थानीय प्रशासन ने ग़ाज़ीपुर इलाक़े की किलेबंदी कर दी है। वहाँ ब्लेड लगे तारों की बाड़ लगा दी गई है, सड़कें खोद दी गई हैं, बैरिकेड बना दिए गए हैं और ज़मीन पर नुकीली कीलें लगा दी गई हैं। ऐसा इसलिए किया गया है कि कोई वहाँ पहुँच नहीं सके।