'लव जिहाद' पर देश भर में जारी विवाद के बीच योगी सरकार जबरन धर्मांतरण पर अध्यादेश ले ही आई। योगी सरकार का कहना है कि वह जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाना चाहती है। गुरुवार शाम को यूपी सरकार ने इस अध्यादेश को पास कर दिया। योगी सरकार का यह निर्णय तब आया है जब आज दिन में ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मुसलिम के ख़िलाफ़ उसकी पत्नी के परिजनों द्वारा दर्ज केस को रद्द करने का आदेश दिया है। शादी से पहले उस लड़की ने पिछले साल ही धर्मांतरण कर मुसलिम धर्म अपना लिया था। इसके बाद से ही उस मामले को 'लव जिहाद' का मामला बताया जा रहा था।
हाई कोर्ट ने इस मामले में काफ़ी अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा, ‘किसी के व्यक्तिगत रिश्तों में दख़ल देना उनकी आज़ादी में गंभीर अतिक्रमण होगा। महिला या पुरुष का किसी भी शख़्स के साथ रहने का अधिकार उनके धर्म से अलग उनके जीवन और व्यक्तिगत आज़ादी के अधिकार में ही निहित है।’ कोर्ट की यह टिप्पणी उस मामले में है जिसमें उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले मुसलिम युवक सलामत अंसारी और हिंदू युवती प्रियंका खरवार ने पिछले साल अगस्त के महीने में प्रेम विवाह किया था।
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा, ‘हम प्रियंका और सलामत को हिंदू और मुसलमान के रूप में नहीं देखते बल्कि दो ऐसे युवाओं की तरह देखते हैं जो अपनी इच्छा से जीना चाहते हैं और पिछले एक साल से ख़ुशी-ख़ुशी साथ रह रहे हैं।’
इसके साथ ही इस बेंच ने ऐसे ही दो अन्य मामलों में पहले दिए गए फ़ैसलों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इन पर रोक लगा दी।
हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद माना जा रहा है कि यह फ़ैसला योगी सरकार के लिए झटका है क्योंकि अदालत ने कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी शख़्स के जीवन और उसकी आज़ादी के अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
लेकिन अब इसी बीच योगी सरकार का यह ताज़ा फ़ैसला आया है जिसमें वह धर्मांतरण को लेकर अध्यादेश लेकर आई है।
ग़ैरकानूनी धर्म परिवर्तन अध्यादेश मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग में पास हो गया। अध्यादेश के मुताबिक़, दूसरे धर्म में शादी करने के लिए संबंधित ज़िले के ज़िलाधिकारी से इजाज़त लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए शादी से पहले 2 माह की नोटिस देना होगा। बिना अनुमति लिए शादी करने या धर्म परिवर्तन करने पर 6 महीने से लेकर 3 साल तक की सजा के साथ 10 हजार का जुर्माना भी देना पड़ेगा।
इसके अलावा अध्यादेश में नाम छिपाकर शादी करने वाले के लिए 10 साल की सज़ा का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सामूहिक रूप से ग़ैरकानूनी तरीक़े से धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल तक सज़ा हो सकती है।