शिवसेना स्थापना दिवस के मौके पर लोगों के समर्थन से उत्साहित उद्धव ठाकरे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को खुली चुनौती दी। उद्धव ने साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा, "मोदी जी, मैं आपको महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए अभियान शुरू करने के लिए आमंत्रित करता हूं... यह आपके और मेरे बीच होगा।" यहां बताना जरूरी है कि वैसे तो शिवसेना बंट चुकी है। एक गुट का नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहे हैं। जो भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। शिवसेना के दूसरे गुट या शिवसेना यूबीटी का नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। चूंकि मूल शिवसेना तो ठाकरे परिवार की है। इसलिए स्थापना दिवस उद्धव की पार्टी ने भी किया। लेकिन स्थापना दिवस दरअसल मूल शिवसेना का था, जो शिंदे के कब्जे में है।
उद्धव ने रैली में कहा कि "भाजपा को मेरा संदेश - मेरे मूल प्रतीक (शिवसेना का चुनाव चिह्न) का इस्तेमाल किए बिना चुनाव जीतने का प्रयास करें। मुझे गर्व है कि हमने किसी और की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं किया। हम कभी भी इस्तेमाल नहीं करेंगे, खासकर पीएम मोदी की। मैं पीएम मोदी को चुनौती देता हूं कि वे आज ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दें - इस नकली शिवसेना को दूर रखते हुए।''
उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के दोनों गुटों के हाथ मिलाने और एनडीए में बने रहने की अटकलों को भी खारिज कर दिया। उद्धव ने कहा, वह उन लोगों के साथ कभी नहीं जाएंगे जिन्होंने उनकी पार्टी को "खत्म" करने की कोशिश की। यानी उद्धव ने यह संकेत दिया है कि वो शिंदे गुट और भाजपा से कभी समझौता नहीं करेंगे। बता दें कि हाल ही में मीडिया के एक वर्ग में खबरें आई थीं कि उद्धव और पीएम मोदी की मुलाकात होने वाली है। उद्धव जल्द भाजपा से समझौता करेंगे।
उद्धव ने रैली में एक और बात का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि "हमें सभी देशभक्तों, सभी धर्मों के लोगों का वोट (लोकसभा चुनाव) मिला। उन्होंने कहा कि हमने हिंदुत्व छोड़ दिया, क्योंकि हम कांग्रेस के साथ चले गए। मैंने बताना चाहता हूं कि हमने हिंदुत्व नहीं छोड़ा। अगर देश और संविधान को बचाने के लिए सभी ने हमें वोट दिया, तो लोग हमारे साथ हैं। यह दर्शाता है कि भाजपा ही वह है जिसने हिंदुत्व छोड़ दिया है।''
उद्धव ठाकरे का यह भाषण महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी पार्टी की रणनीति को साफ करता है। लोकसभा चुनाव में एमवीए गठबंधन की एकजुटता का मजा चख चुके ठाकरे अब एमवीए में ही रहकर कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी के साथ तालमेल कर विधानसभा चुनाव लड़ने उतर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में एमवीए को 48 में से 30 सीटें मिली हैं, जबकि शिंदे वाली शिवसेना, अजीत पवार वाली एनसीपी और भाजपा गठबंधन वाली महायुति को सिर्फ 13 सीटें मिली हैं। भाजपा सिर्फ 9 सीटें पा सकी और उसका घमंड चकनाचूर हो चुका है।
महाराष्ट्र में दरअसल भाजपा को ही लोग शिवसेना और एनसीपी को बांटने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रदेश में उद्धव एमवीए सरकार चला रहे थे। लेकिन भाजपा ने ऑपरेशन शिवसेना शुरू कर दिया। महत्वाकांक्षी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में विद्रोह कराया और अलग कर लिया। केंद्र सरकार के संरक्षण की वजह से शिंदे के ही गुट को असली शिवसेना और पुराना चुनाव चिह्न मिल गया। ठीक यही तरीका शरद पवार की एनसीपी के साथ भी अपनाया गया। पार्टी का मूल नाम और चुनाव चिह्न अजीत पवार वाले गुट को मिला।
इस सारी जुगाड़बाजी और नाटक को महाराष्ट्र की जनता कई साल से देख रही है। उसने कुछ जवाब तो लोकसभा चुनाव में दे दिया है और कुछ विधानसभा चुनाव में देने की तैयारी है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में अकेले 23 सीटें जीती थीं जो अब 9 सीटों पर आ गई है। इसी से पता चलता है कि राज्य में उसकी विश्वसनीयता में गिरावट आई है। मतदाताओं ने उसे ठुकरा दिया।
एमवीए लगातार अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है। अभी चंद दिनों पहले उद्धव ठाकरे, शरद पवार और पृथ्वीराज चव्हाण ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने का ऐलान किया। शिवसेना यूबीटी, एनसीपी शरद पवार और कांग्रेस ने साफ कर दिया कि जल्द ही सीटों का मसला सुलझा लिया जाएगा और सारे कार्यकर्ता एकजुट होकर विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शरद पवार ने मोदी का काफी मजाक उड़ाया। मोदी ने शरद पवार को भटकती आत्मा कहा था। शरद पवार ने कहा कि मोदी जी यह भटकती आत्मा जिन्दगीभर आपको परेशान करती रहेगी।