चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम आईपैक का कहना है कि उसके लोगों को त्रिपुरा में होटल से बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें वहाँ नज़रबंद रखा गया। वे वहाँ तृणमूल कांग्रेस की संभावनाओं का पता लगाने गए थे।
लेकिन पुलिस वाले सुबह से ही होटल की लॉबी में डेरा डाले रहे और उनके लोगों को कहीं जाने नहीं दिया।
प्रशांत किशोर की संस्था इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी के 22 लोग अगरतला गए हुए थे। वे वहाँ 2023 में होने वाले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के जन समर्थन के आधार और राजनीतिक संभावनाओं का अध्ययन करने गए हुए थे।
अभिषेक बनर्जी ने की पुष्टि
बाद में टीएमसी के सांसद व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि बीजेपी इतनी डरी हुई है कि उसने आईपैक (आईपीएसी) के 23 लोगों को नज़रबंद कर दिया।
उन्होंने कहा, "बीजेपी के कुशासन में इस देश में लोकतंत्र रोज़ाना सैकड़ों बार मरता है।"
क्या कहना है पुलिस का?
त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि आईपीएसी के लोगों को होटल से बाहर नहीं निकलने दिया गया क्योंकि उन्होंने कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था।
पश्चिमी त्रिपुरा के पुलिस सुपरिटेंडेंट माणिक दास ने पत्रकारों से कहा, "क़रीब 22 लोग यहाँ-वहाँ घूम रहे थे। कोविड प्रतिबंध लगे हुए हैं, हम पता लगा रहे हैं कि वे यहाँ क्यों आए हुए थे और क्या कर रहे थे। उनकी कोरोना जाँच हुई है, उनके नतीजों का इंतजार है।"
त्रिपुरा टीएमसी अध्यक्ष आशीष लाल सिंह ने पुलिस की इस कार्रवाई को 'लोकतंत्र पर हमला' क़रार दिया।
उन्होंने कहा, त्रिपुरा निवासी होने की वजह से मैं सदमे में हूं। यह त्रिपुरा की संस्कृति नहीं है। राज्य में बीजेपी की अगुआई वाली सरकार के कुशासन से परेशान लोगों की प्रतिक्रिया से बीजेपी परेशान हो गई है।