त्रिपुरा के दो गाँव में बीजेपी और सीपीएम समर्थकों के बीच झड़प के बाद अब हिंसा बढ़ गई है। हिंसा की आग राज्य की राजधानी अगरतला सहित कम से कम चार जगहों पर पहुँच गई। पार्टी कार्यालयों को निशाना बनाया गया, तोड़फोड़ हुई और वाहनों में आग लगा दी गई। हिंसा में क़रीब 10 लोग घायल भी हुए हैं। सीपीएम का राज्य मुख्यालय अगरतला स्थित कार्यालय को भी निशाना बनाया गया है। पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए बल का प्रयोग किया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है। सीपीएम ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री दशरथ देब की मूर्ति को बीजेपी के समर्थकों ने तोड़ दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि क़रीब 10 लोग घायल हो गए, दो सीपीएम कार्यालय जल गए और कम से कम छह वाहनों को आग लगा दी गई। पार्टी नेताओं ने कहा कि सीपीएम के राज्य मुख्यालय को भी निशाना बनाया गया।
इस हिंसा की शुरुआत दो दिन पहले त्रिपुरा के सिपाहीजाला ज़िले के दो गाँवों के बीच सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी सीपीएम समर्थकों के बीच झड़पों से हुई थी। उस घटना के दो दिन बाद बुधवार को कई और जगहों पर हिंसा फैल गई। ताज़ा हिंसा गोमती ज़िले के उदयपुर, सिपाहीजला ज़िले के विशालगढ़, पश्चिम त्रिपुरा ज़िले के हापनिया और अगरतला के मेलरमठ इलाक़े में हुई। इसमें अगरतला में सीपीएम का राज्य मुख्यालय, सदर संगठनात्मक ज़िला मुख्यालय और एक स्थानीय पार्टी कार्यालय हमले की चपेट में आ गये।
इस हिंसा को लेकर सीपीएम ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। उसने उसमें कुछ वीडियो भी ट्वीट किये हैं। एक ट्वीट में इसने लिखा है, 'नीचे के वीडियो में दिखता है कि कैसे बीजेपी की भीड़ ने अगरतला में राज्य पार्टी कार्यालय पर हमला किया। राज्य में बीजेपी को बेनकाब करने वाली आवाज़ों से वह डरी हुई है और इसलिए आतंक का सहारा ले रही है।'
इसके अलावा सीपीएम ने कुछ और वीडियो शेयर किए हैं और आरोप लगाया है कि बीजेपी समर्थकों ने हिंसा की। एक वीडियो में दिखता है कि विशालगढ़ में सीपीएम के दफ़्तर में आग लगी हुई है। एक वीडियो को शेयर करते हुए पार्टी ने दावा किया है कि त्रिपुरा में पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के घरों को भी निशाना बनाया गया है। वीडियो में तोड़फोड़ के बाद के हालात दिखते हैं।
सीपीएम ने बीजेपी समर्थकों पर आरोप लगाया है कि उसने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पहले आदिवासी मुख्यमंत्री दशरथ देब की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए लाठीचार्ज किया और आँसू गैस के गोले दागे। रिपोर्ट के अनुसार एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अगरतला में तीन कारों और कुछ मोटरसाइकिलों सहित लगभग छह वाहन जल गए। उन्होंने कहा, 'बिशालगढ़ और हापनिया में राजनीतिक दल के कार्यालय जल गए। उदयपुर में एक पार्टी कार्यालय पर भी हमला हुआ। वहाँ एक युवक की पहचान माफिज मियां के रूप में हुई है। घटना में एक मामला दर्ज किया गया और दो लोगों को गिरफ्तार किया गया।'
रिपोर्ट के अनुसार, झड़पों के दौरान, स्थानीय समाचार पत्र प्रतिभा कलाम और सीपीएम के मुखपत्र डेली देशेर कथा और स्थानीय टीवी चैनल पीबी 24 के कार्यालयों को भी निशाना बनाया गया।
माकपा ने आरोप लगाया कि वामपंथी युवा समर्थक नौकरियों की मांग को लेकर उदयपुर में सड़क जाम कर रहे थे तब बीजेपी समर्थकों ने उन पर हमला किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि विशालगढ़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने खाली सीपीएम ज़िला मुख्यालय को निशाना बनाया और उसमें तोड़फोड़ कर आग लगा दी।
एक संवाददाता सम्मेलन में त्रिपुरा वाम मोर्चा के संयोजक बिजन धर ने कहा, 'हमने विशालगढ़ में पार्टी की एक बैठक की थी। वापस जाते समय हमें पता चला कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एक बुलडोजर लिया, हमारे ज़िला पार्टी कार्यालय के गेट को तोड़ दिया, दरवाजे तोड़ दिए और आग लगा दी। हमारी पार्टी के नेता पार्थ प्रतिम मजूमदार के घर में भी तोड़फोड़ की गई।'
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, 'भाजपा विपक्ष से इतनी डरी हुई क्यों है? ये हमले निंदनीय हैं और इन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए।'
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने बाद में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसी पर हमला नहीं किया, बल्कि उनमें से सात पर सीपीएम कार्यकर्ताओं ने हमला किया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार भट्टाचार्य ने कहा, 'हमने देखा है कि सीपीएम नेता पिछले कुछ दिनों में राज्य में हिंसा भड़काने में शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने दो दिन पहले सोनमुरा में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बीजेपी पर हमला करने के लिए उकसाया था।
उन्होंने आरोप लगाया, 'उदयपुर में आज एक हमले में हमारा एक कार्यकर्ता घायल हो गया। अगरतला में हमारी रैली के दौरान हमारी महिला कार्यकर्ताओं पर भी ईंटों से हमला किया गया था, क्योंकि वे सोनमुरा में हिंसा के ख़िलाफ़ एक विरोध मार्च का आयोजन कर रहे थे।'