तेलंगानाः हलचल बढ़ी, डीके हैदराबाद पहुंचे, केसीआर कांग्रेस प्रत्याशियों के संपर्क में
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सरकार बनाने के लिए राज्य में कांग्रेस उम्मीदवारों को लुभाने की कोशिश की। शिवकुमार ने यह भी कहा कि वह पांचों राज्यों में जीतने वाले कांग्रेस विधायकों को संभाल सकते हैं। डीके ने कहा, "हमारे पास जानकारी है कि वे (बीआरएस) हमें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे उम्मीदवारों ने हमें बताया है कि सीएम (केसीआर) ने खुद उनसे संपर्क किया है।"
उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि कांग्रेस राज्य में आसानी से बहुमत हासिल करेगी। डीके ने कहा- “मैं अपनी पार्टी के काम के तहत वहां जा रहा हूं। कर्नाटक चुनाव के दौरान तेलंगाना की टीम हमारे साथ थी। इसलिए मैं भी जा रहा हूं।' हम देखेंगे कि नतीजों के बाद क्या होता है। कोई समस्या नहीं, कोई ख़तरा नहीं। हमें भरोसा है। हमारी पार्टी आराम से जीतेगी।''
एक अन्य कांग्रेस नेता, रेणुका चौधरी ने दावा किया कि उन्हें और अन्य नेताओं को कई बीआरएस नेताओं के फोन आए जो जरूरत पड़ने पर कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक थे। रेणुका ने कहा- “वे (बीआरएस) पिछली बार हमारे 12 विधायकों को ले गए थे। पिछली बार वे हमारे लोगों को ले गए थे लेकिन इस बार उन्हें सावधान रहना होगा कि उनके लोग हमारे पास न आएं। हमारे नेताओं को फोन आ रहे हैं, मुझे भी फोन आए कि क्या हमें उनकी मदद की जरूरत है। यदि ऐसी स्थिति हो तो वे हमारे साथ जुड़ने के लिए तैयार हैं। उन्हें सावधान रहना होगा कि वे अपने नेताओं को न खोएं।”
शुक्रवार को आए एग्जिट पोल के मुताबिक, तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना है और सत्तारूढ़ बीआरएस 10 साल तक भारत के सबसे युवा राज्य पर शासन करने के बाद बहुमत पाने में विफल रहेगी। सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया कि कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 42 प्रतिशत हो जाएगा, जबकि बीआरएस का वोट शेयर घटकर 36 से 38 प्रतिशत तक आ जाएगा और भाजपा का वोट शेयर 14 प्रतिशत हो जाएगा। यह भी अनुमान लगाया गया कि एआईएमआईएम को 3 प्रतिशत और अन्य को 5 प्रतिशत वोट मिलेंगे।
119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा के लिए गुरुवार को मतदान हुआ था। राज्य में 71.34 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले। 2018 में, बीआरएस (तत्कालीन तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने 47.4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 88 सीटें जीतीं। कांग्रेस 19 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी।