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दिशा सालियान केस: क्लोजर रिपोर्ट से रहस्य खत्म या सवाल और गहराए?

दिशा सालियान केस: क्लोजर रिपोर्ट से रहस्य खत्म या सवाल और गहराए?

दिशा सालियान की मौत मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट सामने आई, लेकिन क्या यह सच्चाई को सामने लाती है या नए सवाल खड़े करती है? जानिए पूरी कहानी।

एक ओर दिशा सालियान की मौत का रहस्य पिछले पांच सालों से लोगों के जेहन में कौतुहल और सवाल पैदा करता रहा है तो दूसरी ओर मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट है, जो इस मामले को आत्महत्या करार देती है। इस रिपोर्ट ने इस मामले में नया मोड़ ला दिया है। इसमें दावा किया गया है कि दिशा अपने पिता द्वारा पैसे के दुरुपयोग के कारण डिप्रेशन में थीं। लेकिन क्या यह रिपोर्ट इस लंबे विवाद को ख़त्म कर पाएगी, या फिर यह नए सवालों को जन्म देगी?

मुंबई पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि दिशा सालियान ने 8 जून, 2020 को मलाड के जनकल्याण नगर में अपनी इमारत की 12वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की थी। मालवाणी पुलिस द्वारा यह रिपोर्ट अपने वरिष्ठ अधिकारी को 4 फरवरी, 2021 को सौंपी गई थी। यह दावा करती है कि दिशा कई कारणों से अवसाद में थीं। इनमें उनके कुछ प्रोजेक्ट्स की असफलता, दोस्तों के साथ ग़लतफहमियाँ और सबसे चौंकाने वाला- उनके पिता सतीश सालियान द्वारा उनके पैसे का दुरुपयोग शामिल है।

पुलिस का कहना है कि मालवणी थाने की जाँच में दिशा के दोस्तों और गवाहों के बयानों से यह बात सामने आई कि वह अपने पिता के इस व्यवहार से बेहद परेशान थीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दिशा ने अपने मंगेतर रोहन रॉय और क़रीबी दोस्तों से इस बारे में बात की थी, जिससे उनकी मानसिक स्थिति की गंभीरता का पता चलता है।

रिपोर्टों के मुताबिक़, दिशा ने अपने पिता को क़ारोबार के लिए पैसे दिए थे, लेकिन सतीश ने कथित तौर पर इनका इस्तेमाल अपने मसाला व्यवसाय में एक महिला कर्मचारी पर ख़र्च करने के लिए किया, जिसके साथ उनका कथित अफेयर था। यह खुलासा दिशा के लिए गहरा आघात साबित हुआ। दोस्तों के बयानों के आधार पर पुलिस का कहना है कि यह विश्वासघात दिशा के डिप्रेशन का एक बड़ा कारण था। लेकिन यहाँ सवाल उठता है- क्या यह दावा पूरी तरह से साक्ष्यों पर आधारित है, या फिर यह एक सुविधाजनक निष्कर्ष है जिसे जांच को बंद करने के लिए पेश किया गया? 

सतीश सालियान ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले के अनुसार, धारा 174 सीआरपीसी के तहत दायर ऐसी क्लोजर रिपोर्ट का कोई क़ानूनी मूल्य नहीं है, खासकर जब गंभीर अपराधों के आरोप हों।

दिलचस्प बात यह है कि दिशा की मौत के बाद सतीश सालियान ने शुरू में इसे आत्महत्या मान लिया था। लेकिन हाल ही में मार्च 2025 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस मामले की नए सिरे से जाँच की मांग की है।

उनका दावा है कि दिशा की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि बलात्कार और हत्या का मामला थी, जिसे राजनीतिक प्रभाव के चलते दबा दिया गया। सतीश ने शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे, पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और अभिनेताओं रिया चक्रवर्ती, डिनो मोरिया व सूरज पंचोली पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने नार्को टेस्ट की मांग भी की है, ताकि सच सामने आ सके। यहाँ विरोधाभास साफ़ दिखता है- एक तरफ़ पुलिस पिता को डिप्रेशन का कारण बता रही है, दूसरी तरफ़ वही पिता अब इसे हत्या करार दे रहे हैं।

यह मामला कई सवाल खड़े करता है। पहला, अगर दिशा वाक़ई डिप्रेशन में थीं, तो क्या उनके दोस्तों और मंगेतर ने इसे गंभीरता से लिया? दूसरा, पुलिस की जांच में फोरेंसिक साक्ष्यों और परिस्थितिजन्य सबूतों को कितना महत्व दिया गया, या फिर यह जल्दबाजी में बंद किया गया मामला था? तीसरा, सतीश सालियान का यू-टर्न- पहले आत्महत्या को स्वीकार करना और अब हत्या का आरोप लगाना- क्या इसे विश्वसनीय माना जा सकता है? और सबसे बड़ा सवाल- क्या यह मामला वाक़ई व्यक्तिगत तनाव का नतीजा था, या इसके पीछे कोई बड़ी साज़िश छिपी है, जैसा कि सतीश और कुछ सोशल मीडिया यूज़र दावा करते हैं?

मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट दिशा सालियान की मौत को एक दुखद आत्महत्या करार देती है, जिसमें उनके पिता की भूमिका को अहम बताया गया है। लेकिन सतीश सालियान के नए आरोप और कोर्ट में उनकी याचिका इस मामले को फिर से सुर्खियों में ले आई है। यहाँ सच और संदेह के बीच की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। क्या यह डिप्रेशन की कहानी है, या एक गहरे षड्यंत्र का पर्दाफाश होने का इंतजार कर रही सच्चाई? बॉम्बे हाई कोर्ट का फ़ैसला और संभावित नई जांच ही शायद इस रहस्य से पर्दा उठा सके। 

(रिपोर्ट : अमित कुमार सिंह)

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