अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के लिए तय समय सीमा 31 दिसंबर के बाद भी अमेरिकी सेना के रुकने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के संकेत पर तालिबान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसने कहा है कि उसे उस तय सीमा को आगे बढ़ाना मंजूर नहीं है और यदि इसमें देरी होती है तो इसके नतीजे भुगतने होंगे। ये प्रतिक्रियाएँ तब आ रही हैं जब काबुल हवाईअड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है और हज़ारों लोग अभी भी देश छोड़ने के लिए बेताब हैं।
कट्टर इस्लामी शासन की वापसी से बचने के लिए बेताब विदेशियों और अफ़ग़ानों को एयरलिफ्ट किए जाने की निगरानी के लिए हज़ारों सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में जमे हैं। अमेरिका के सहयोगी देश भी उस तय सीमा को आगे बढ़वाना चाहते हैं। सोमवार को ब्रिटेन ने कहा कि वह अमेरिका से पश्चिमी देशों के नागरिकों और अमेरिकी सहयोगियों को काबुल से निकालने की समय सीमा को आगे बढ़ाने का आग्रह अमेरिका से करेगा। इन्हीं वजहों से वाशिंगटन पर 31 अगस्त की वापसी की समय सीमा बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है।
इसी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेनाएँ 31 अगस्त के बाद भी रूक सकती हैं। हालाँकि बाइडेन ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 31 अगस्त की समय सीमा आगे नहीं बढ़ानी पड़ेगी लेकिन इस बारे में चर्चा चल रही है।
बाइडेन के इस बयान के बाद तालिबान के एक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने साक्षात्कार में स्काई न्यूज़ से कहा कि अमेरिकी सेना को हटाने में देरी होती है तो इसके नतीजे भुगतने होंगे। शाहीन ने कहा, "अगर अमेरिका या यूके वापसी जारी रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगता है, तो जवाब 'नहीं' है। और इसके परिणाम भुगतने होंगे।"
एएफ़पी ने तालिबान के दो सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि तालिबान अपनी सरकार या कैबिनेट के गठन की घोषणा तब तक नहीं करेगा जब तक कि अंतिम अमेरिकी सैनिक देश नहीं छोड़ देता।
काबुल छोड़ने की हड़बड़ी के कारण हवाईअड्डे पर बुरे हालात हैं। अब तक कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है। कुछ की कुचलकर मौत हो गई और एक विमान से गिरने के बाद कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई।
जर्मनी के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि स्थानीय सुरक्षाकर्मियों और अज्ञात हमलावरों के बीच भोर में हुई मुठभेड़ में एक अफ़ग़ान व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।
काबुल के हामिद करज़ई एयरपोर्ट की सुरक्षा का काम अमेरिकी सैनिकों ने अपने हाथों में लिया हुआ है। अमेरिका लगातार वहां से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के काम को तेज़ कर रहा है। अमेरिका अब तक अपने 28 हज़ार लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकाल चुका है। दूसरे मुल्क भी इस काम में जुटे हुए हैं।
बाइडेन ने रविवार को कहा, “हम अफ़ग़ानिस्तान के ऐसे लोगों का स्वागत करेंगे जिन्होंने हमें 20 साल तक युद्ध लड़ने के दौरान मदद की।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पूरी जांच के बाद ऐसे लोगों को अमेरिका में घर भी देगी। बता दें कि 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अल-क़ायदा के हमले के बाद अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में आया था और उसकी और नैटो देशों की सेनाएं 20 साल तक वहां टिकी रहीं।
लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान छोड़ दिया था और इसके बाद तालिबान ने तेज़ी से आगे बढ़ते हुए और शहर दर शहर फतेह हासिल करते हुए काबुल पर कब्जा कर लिया था। दुनिया के तमाम रक्षा जानकारों को इस बात पर हैरानी हुई थी कि आख़िर अफ़ग़ानिस्तान की सेना तालिबान के ख़िलाफ़ मजबूती से क्यों नहीं लड़ी और तालिबान को क्यों आसानी से काबुल तक पहुंचने दिया गया।
बाइडेन ने कहा था, तालिबान ने कहा है कि वह अपने उस वादे का पालन करेगा जिसमें उसने अमेरिका व अन्य देशों के लोगों को इस मुल्क से सुरक्षित बाहर निकलने देने की बात कही थी। बाइडेन ने कहा कि यह एक कठिन ऑपरेशन है लेकिन वह इस बारे में विस्तार से नहीं बात करना चाहते कि इसे किस तरह अंजाम दिया जा रहा है।
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फ़ैसले को लेकर दुनिया भर में बाइडेन की काफ़ी आलोचना हो रही है। लेकिन बाइडेन ने अपने फ़ैसले का पूरी तरह बचाव किया था। बाइडेन ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का फ़ैसला पूरी तरह सही है।