मणिपुर यौन हिंसा: एक और गिरफ्तारी, अब तक 7 पकड़े गए

01:54 pm Jul 25, 2023 | सत्य ब्यूरो

पुलिस ने मंगलवार को कहा है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। इसने कहा है कि 24 जुलाई की शाम को थौबल जिले से ताजा गिरफ्तारी के बाद मामले में गिरफ्तार लोगों की कुल संख्या सात हो गई है।

पुलिस ने पहले वीडियो से उन 14 लोगों की पहचान की थी, जो 4 मई को दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करने में शामिल थे। मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू होने के अगले दिन यानी 4 मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया व सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। 18 मई को एफ़आईआर हुई। फिर भी 62 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब कार्रवाई तब हो रही है जब उस घटना का वीडियो वायरल हुआ है और इसने पूरे देश को झकझोर दिया है। अब कार्रवाई के लिए पुलिस पर भारी दबाव है।

आरोप है कि भीड़ द्वारा दोनों महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया था। घटना का 26 सेकेंड का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था। वीडियो में दिख रही महिलाओं में से एक पूर्व सैनिक की पत्नी हैं, जो असम रेजिमेंट में सूबेदार के रूप में कार्यरत थे और कारगिल युद्ध में भी लड़े थे।

मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़क उठी थी। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर कुकी जनजाति के विरोध और पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकलने के बाद हिंसा भड़क गई थी। हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। मैतेई समुदाय ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, वहीं आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, उनकी आबादी करीब 40 प्रतिशत हैं और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। 

बता दें कि राज्य की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि राज्य में हुई हिंसा ने उन्हें दुखी कर दिया है। उन्होंने कहा था, 'मैं खुलकर बोल रही हूं। मुझे बहुत दुख है, लोगों के घर जल गए हैं। मुझसे लोग पूछते हैं कि कब तक शांति स्‍थापित हो पाएगी। मैंने कभी ज़िन्दगी में ऐसी हिंसा नहीं देखी।’

राज्य में वास्तविक स्थिति के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल ने कहा था, 'आज भी कहीं न कहीं हिंसा हो रही है। करीब 350 कैम्‍पों में 60 हजार से ज्‍यादा बच्‍चे, महिलाएँ और पुरुष रह रहे हैं। केंद्र को दोनों कम्युनिटी को बैठाकर बात करनी चाहिए। जब तक बैठकर मसले को सुलझाया नहीं जाएगा, तब तक शांति नहीं लौटेगी।'