कोरोना वायरस से संक्रमित किसी शख़्स को ठीक होने के बाद सबसे पहले अपने परिवार वालों से मिलने की इच्छा होती है। लेकिन अगर उसके परिवार वाले ही उसे घर वापस ले जाने से मना कर दें, तो उस पर क्या बीतेगी। न्यूज़ 18 के मुताबिक़, हैदराबाद में ऐसा एक नहीं 50 से ज़्यादा लोगों के साथ हुआ है। यहां परिजनों ने ही कोरोना सर्वाइवर्स को लेने से इनकार कर दिया। इन लोगों में 93 साल की एक बूढ़ी महिला भी हैं जो हैदराबाद के गांधी अस्पताल से उन्हें घर ले जाने के लिए अपने बेटों के आने का इंतजार कर रही हैं।
न्यूज़ 18 के मुताबिक़, इन लोगों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के दौरान अस्पताल की ओर से कई बार इनके परिजनों को फ़ोन किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
डिस्चार्ज किए गए कुछ मरीज अस्पताल के गेट पर अपने परिजनों का इंतजार करते रहे। घंटों इतंजार करने के बाद थक-हारकर उन्हें अस्पताल के पास ही दोबारा मदद मांगने के लिए जाना पड़ा क्योंकि उनके पास रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं थी।
न्यूज़ 18 के मुताबिक़, इन लोगों में से ज़्यादा उम्र के कुछ लोगों को अस्पताल में रुकने के लिए बेड दिए गए हैं और कुछ लोगों को एक दूसरे अस्पताल में बनाए गए क्वारेंटीन सेंटर में रखा गया है।
गांधी अस्पताल की नोडल अफ़सर डॉ. प्रभाकर राव ने न्यूज़ 18 से कहा, ‘ये सभी मरीज स्वस्थ हैं और उन्हें कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं। हमने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया था और होम क्वारेंटीन के लिए फ़िट घोषित कर दिया था। लेकिन उनके परिजनों ने उन्हें घर ले जाने से इनकार कर दिया।’
राव ने कहा कि कुछ मामलों में मरीजों के परिजन उन्हें घर ले जाने के लिए तैयार तो हुए लेकिन इससे पहले उन्होंने अस्पताल से उनकी कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट मांगी। जबकि आईसीएमआर की गाइडलाइंस के मुताबिक़, डिस्चार्ज से पहले टेस्ट करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
कोरोना संकट के इस दौर में पहले भी ऐसी कई घटनाएं हुईं, जहां कोरोना के डर से परिजनों ने अपनों को ही घर में नहीं आने दिया। मध्य प्रदेश में ऐसी घटना सामने आई थी, जब बेटे ने कोरोना संक्रमित पिता के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था और यहीं के एक दूसरे मामले में मां ने बेटी और दामाद को घर में नहीं आने दिया था।