बीजेपी और कांग्रेस के बीच बीते दिनों 'टूलकिट' को लेकर ख़ासा सियासी युद्ध चला। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस ने यह 'टूलकिट' जारी किया है और इसमें कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे कोरोना के नए वैरिएंट को 'मोदी स्ट्रेन' या 'इंडिया स्ट्रेन' कह कर प्रचारित करें। जबकि कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए इस 'टूलकिट' को 'फर्जी' क़रार दिया था और कहा था कि उसने ऐसा कोई 'टूलकिट' नहीं बनाया है।
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस 'टूलकिट' के स्क्रीनशॉट को शेयर किया था और ट्विटर ने इसे 'मैनिप्युलेटेड' बताया था। इसे लेकर केंद्र सरकार ने ट्विटर से आपत्ति जताई थी।
ख़ैर, अब एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली ख़बरों के सच-झूठ की पड़ताल करने वाली वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने यह बताया है कि जो बातें इस 'टूलकिट' में लिखी गई थीं, लगभग वैसा ही कुछ 10 दिन पहले एक ट्विटर हैंडल की ओर से जारी एक थ्रेड में लिखा गया था। इस ख़बर को ‘ऑल्ट न्यूज़’ से ही साभार लिया जा रहा है।
पहले समझते हैं कि ये 'टूलकिट' विवाद कहां से शुरू हुआ। 18 मई को सुबह 10:01 बजकर मिनट पर टीम भारत नाम के ट्विटर हैंडल ने चार स्क्रीनशॉट जारी किए, इनमें हर स्क्रीनशॉट में दो डॉक्यूमेंट्स थे। स्क्रीनशॉट के पहले सेट में एक डॉक्यूमेंट जिसका शीर्षक- कोरोना प्रबंधन में ‘मोदी और बीजेपी को मुसीबत में डालना’ शीर्षक था, स्क्रीनशॉट के दूसरे सेट में जो डॉक्यूमेंट था, उसका शीर्षक ‘सेंट्रल विस्टा री-डेवलपमेंट: महामारी के बीच अहंकारी प्रोजेक्ट’ था।
19 मई की सुबह बीजेपी नेताओं ने इन दो डॉक्यूमेंट्स में से एक के स्क्रीनशॉट की फ़ाइल प्रॉपर्टीज को शेयर करना शुरू कर दिया। इस फ़ाइल का नाम है- ‘Central_Vista_Vanity_Project_AICC’. इसी तरह के स्क्रीनशॉट को बीजेपी के कई नेताओं ने शेयर किया था।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि विस्टा और 'टूलकिट' वाले डॉक्यूमेंट्स को कांग्रेस ने तैयार किया है हालांकि वे अपने दावे को साबित करने के लिए ओरिजनल 'टूलकिट' डॉक्यूमेंट को सामने नहीं ला सके जिससे वे अपने आरोपों को सही साबित कर सकें।
टीम भारत की ओर से सबसे पहले इस 'टूलकिट' के स्क्रीनशॉट को शेयर किया गया था जबकि विस्टा डॉक्यूमेंट की फ़ाइल प्रॉपर्टीज को 19 मई को शेयर किया गया। टीम भारत ने इसे सुबह 10:13 पर पोस्ट किया जबकि बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा सहित कई लोग इसे 9:57 पर ही ट्विटर पर पोस्ट कर चुके थे।
यहां पर सवाल ये खड़ा होता है कि टीम भारत ने सबसे पहले स्क्रीनशॉट की फ़ाइल प्रॉपर्टीज को शेयर क्यों नहीं किया जबकि इसने कहा था कि वह इस 'टूलकिट' का पर्दाफ़ाश करेगा। ऐसे में हो सकता है कि क्या इस हैंडल को पर्दाफ़ाश के लिए प्रॉक्सी की तरह तो इस्तेमाल नहीं किया गया।
‘ऑल्ट न्यूज़’ के मुताबिक़, ट्विटर के एडवांस्ड सर्च से पता चला कि इन स्क्रीनशॉट की फ़ाइल प्रॉपर्टीज मोदी भरोसा नाम के ट्विटर हैंडल से सबसे पहले 9:41 मिनट पर शेयर किया गया।
मोदी भरोसा ने 'टूलकिट' के इस आइडिया को 10 दिन पहले ही लोगों के सामने रख दिया था और इसी ने सबसे पहले ट्विटर पर इसकी फ़ाइल प्रॉपर्टीज का स्क्रीनशॉट शेयर किया था।
‘ऑल्ट न्यूज़’ को पड़ताल में पता चला कि 8 मई को एक ट्वीट का थ्रेड था जो किसान आंदोलन के दौरान बने 'टूलकिट' के बारे में था और इसमें कहा गया था कि ऐसे ही 'टूलकिट' के ज़रिए इस महामारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की कोशिश की गई।
‘ऑल्ट न्यूज़’ को इस थ्रेड से कई ऐसी चीजें पता चलीं कि जिसे कांग्रेस का बताकर शेयर किया जा रहा था। इसके स्क्रीनशॉट इस थ्रेड के 10 दिन बाद शेयर किये गए थे।
18 मई को सामने आए ‘टूलकिट' और 8 मई के मोदी भरोसा वाले थ्रेड की तुलना नीचे की गई है। इसमें सुपर स्प्रेडर कुंभ से लेकर प्राइम मिनिस्टर मोदी की छवि, इंडियन वैरिएंट, पीएम केयर्स फ़ंड, सेंट्रल विस्टा तक की तुलना की गई है।
‘सुपर स्प्रेडर कुंभ’
‘टूलकिट’ में सुझाया गया है कि कुंभ को कांग्रेस वॉलंटियर्स द्वारा हाईलाइट किया जाना चाहिए और इसे ‘सुपर स्प्रेडर कुंभ’ कहा जाना चाहिए। 8 मई को मोदी भरोसा ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट्स के कुछ स्क्रीनशॉट्स शेयर किये थे ऐसी ही बात 18 मई के ‘टूलकिट’ में भी है।
मोदी की छवि
टूलकिट में कहा गया है कि महामारी के दौर में भी मोदी की अप्रवूल रेटिंग ऊंची है और किस तरह इसे नष्ट किया जाए। मोदी भरोसा के 8 मई वाले ट्वीट में अंतरराष्ट्रीय ख़बरों में छपे ओपनियन पीस के स्क्रीनशॉट को शेयर किया गया है, जिसमें इस संकट के लिए मोदी को जिम्मेदार बताया गया है।
‘इंडियन स्ट्रेन’
इसी तरह टूलकिट में ‘इंडियन स्ट्रेन’ या ‘मोदी स्ट्रेन का इस्तेमाल कर पीएम मोदी को छवि को ख़राब करने की बात कही गई है। मोदी भरोसा ने ट्वीट कर मीडिया द्वारा B.1.617 वैरिएंट को ‘इंडिया वैरिएंट’ कहने की आलोचना की थी।
पीएम केयर्स फंड
‘टूलकिट’ में एक सेक्शन पीएम केयर्स फ़ंड को लेकर है और कहा गया है कि यह किस तरह एक गैर पारदर्शी प्राइवेट ट्रस्ट है। 8 मई को मोदी भरोसा के ट्वीट में भी कुछ ऐसी ही बात कही गई थी।
इससे पता चलता है कि मोदी भरोसा ट्विटर हैंडल और इस 'टूलकिट' में सामने आई बातों में बहुत ज़्यादा समानता है। इसके अलावा बीजेपी नेता 'टूलकिट' के ओरिजनल डॉक्यूमेंट को भी नहीं दिखा पाए जिससे ये पता चले कि ये फर्जी नहीं है। इसके अलावा 'टूलकिट' का लैटरहेड भी जाली था। ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने यह भी बताया था कि यह 'टूलकिट' फर्जी लैटरहेड पर बना था। इसके बाद ट्विटर ने बीजेपी नेताओं द्वारा शेयर किए गए स्क्रीनशॉट को 'मैनिप्युलेटेड' बताया था। इसे लेकर केंद्र सरकार ने ट्विटर से आपत्ति जताई थी।