'ऑल्ट न्यूज़' के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने धारा 153 यानी दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने और 295ए यानी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन्होंने आख़िर ऐसा क्या किया था कि पुलिस ने इनपर ये आरोप लगाए और उन्हें गिरफ़्तार किया?
अब जो रिपोर्टें आ रही हैं उनमें कहा जा रहा है कि उनपर आरोप है कि उन्होंने एक ट्वीट से धार्मिक भावनाएँ भड़काईं। तो सवाल है कि उन्होंने आख़िर ऐसा क्या ट्वीट किया था? ऑल्ट न्यूज़ के ही एक और सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने सोमवार रात को बयान जारी कर कहा कि ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने 2020 के एक मामले में जाँच के लिए बुलाया था जिसमें हाई कोर्ट से उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है।
उन्होंने बयान में आगे कहा, 'हालाँकि आज (सोमवार) क़रीब 6:45 बजे हमें बताया गया कि उन्हें कुछ दूसरी एफ़आईआर में गिरफ़्तार कर लिया गया है जिसके लिए उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया जो कि क़ानून की धाराओं के तहत ज़रूरी है। बार-बार अनुरोध के बावजदू हमें एफ़आईआर की कॉपी भी नहीं दी गई।'
ज़ुबैर के जिस ट्वीट पर आपत्ति की गई है और उनपर जो आरोप लगाए गए हैं, उसको लेकर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया हुई है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि ज़ुबैर ने जो ट्वीट किया उसमें आख़िर ग़लत क्या है?
पत्रकार रोहिणी सिंह ने कहा है, 'भारत में फर्जी आईडी पुलिस को फैक्ट चेकर्स की रिपोर्ट कर रहे हैं। वह भी 1983 में सामने आई एक फिल्म से एक शॉट को 2018 में पोस्ट करने के लिए। पुलिस भी फैक्ट चेकर को तुरंत गिरफ्तार कर लेती है क्योंकि फर्जी आईडी का दावा है कि उनकी भावना आहत हुई है। तब तो ठीक है।'
वरिष्ठ पत्रकार साक्षी जोशी ने ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली पुलिस ने ज़ुबैर को 1983 में सीपीएफ़सी से पास हुई एक हिंदी फ़िल्म के दृश्य को 2018 में ट्वीट करने पर 2022 में गिरफ़्तार किया है।
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने कहा है, 'वह झूठ उजागर कर रहा था, तब उससे ख़तरा हो गया। धर्म के नाम पर नफ़रत के खेल को उजागर किया, तो उसी से नफ़रत हो गई। आहत भावनाओं के इस खेल में उन्हें ख़तरा नहीं जो झूठ के तंत्र के साथ हैं। ख़तरा उन्हें है जो झूठ को उजागर करते हैं। ज़ुबैर जेल में है...।'
राणा अय्यूब ने ट्वीट किया है, 'भारत के प्रधान मंत्री आपातकाल की भयावहता के बारे में बात करते हैं जबकि उन्होंने खुद भारत में ऐसा ही लागू कर दिया है। भारत में नफ़रत फैलाने वाली मशीनरी का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार ज़ुबैर को हाल ही में गिरफ्तार किया गया है। देश उन लोगों को दंडित कर रहा है जिन्होंने रिपोर्ट की, गिरावट का दस्तावेजीकरण किया।'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, 'बीजेपी की नफरत, कट्टरता और झूठ को उजागर करने वाला हर शख्स उनके लिए ख़तरा है। सत्य की एक आवाज़ को पाबंद करने से एक हजार और पैदा ही होंगे। अत्याचार पर सत्य की हमेशा विजय होती है।'
बता दें कि ज़ुबैर पर कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर पर विवादास्पद टिप्पणी के मामले में क्या कार्रवाई हुई? नूपुर शर्मा मामले में ही मोहम्मद जुबैर चर्चा में आए थे। उन्होंने नूपुर शर्मा के बयान को पेश करते हुए उस टीवी चैनल से सवाल पूछे थे कि उसने नूपुर शर्मा को बोलने से रोका क्यों नहीं। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछला था। बीजेपी को इसमें मुंह की खानी पड़ी और नूपुर शर्मा को प्रवक्ता के पद से हटाना पड़ा था। लेकिन उस समय से ही जुबैर के खिलाफ सोशल मीडिया पर नूपुर समर्थक गिरफ्तार करने की मुहिम चला रहे थे।