फ़ेसबुक इंडिया ने यह माना है कि उसने वायरल हो चुके #ResignModi को कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया था। उसने सफाई देते हुए कहा है कि यह गलती से हो गया था और ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार ने उससे कहा नहीं था।
फ़ेसबुक ने कहा है कि #ResignModi को सिर्फ एक घंटे के लिए ब्लॉक किया गया था, उसके बाद उसे फिर से बहाल कर दिया गया था। कंपनी का कहना है कि बीच बीच में अलग-अलग कारणों से कुछ पोस्ट ब्लॉक किए जाते हैं। यह कभी ऑटोमेटेड सिस्टम से ब्लॉक होता है तो कभी इसे कोई कर्मचारी ब्लॉक करता है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के ठीक पहले #ResignModi ट्रेंड कर रहा था। कोरोना महामारी से निपटने के सरकार के कामकाज से तरीके से गुस्साए लोग फ़ेसबुक पर पोस्ट कर रहे थे। ज़्यादातर लोग इन पोस्ट में केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे थे और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे।
फ़ेसबुक इंडिया के एक प्रवक्ता ने एनडीटीवी से कहा,
“
हमने ग़लती से थोड़े समय के लिए इस हैशटैग को ब्लॉक कर दिया था। लेकिन इसके लिए भारत सरकार ने हमसे नहीं कहा था। हमने उसे बहाल कर दिया है।
प्रवक्ता, फ़ेसबुक इंडिया
नए नियमों के अनुसार, फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को ग़ैरक़ानूनी पोस्ट व ट्वीट हटाने होंगे। इस क़ानून पर काफी बहस भी हुई है।
बता दें कि देश अभी भी अभूतपूर्व कोरोना संकट से गुजर रहा है और इसे संभालने में सरकार की नाकामी खुल कर सामने आ रही है और लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। ज़्यादातर लोग इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार मानते हैं।
फ़ेसबुक का नया विवाद
कुछ दिन पहले ही फ़ेसबुक ने कई फ़ेक अकाउंट का पता लगाया और उन्हें हटा देने का निर्णय ले लिया था, पर जब उसे यह पता चला कि वे तमाम फ़ेक अकाउंट एक बीजेपी सांसद से जुड़े हुए हैं तो फ़ेसबुक ने अपना हाथ पीछे खींच लिया।
याद दिला दें कि बीते साल फ़ेसबुक एक बड़े विवाद में फँसा था जब यह बात सामने आई थी कि उसने बीजेपी के तेलंगाना विधायक टी राजा सिंह के मुसलमान विरोधी हेट स्पीच को हटाने का निर्णय कर लिया था, लेकिन फ़ेसबुक इंडिया की तत्कालीन पब्लिक पॉलिसी निदेशक आँखी दास के कहने पर ऐसा नहीं किया गया।
आँखी दास का कहना था कि उस बीजेपी विधायक को 'डैंजरस मैन' की श्रेणी में रखने से केंद्र सरकार से कंपनी के रिश्ते ख़राब होंगे और उससे कंपनी के भारत में कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा।