बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शुक्रवार को दावा किया है कि मध्य प्रदेश के खरगोन में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए गए थे। हालाँकि, मालवीय ने जो वीडियो ट्वीट किया है उसमें वो नारा सही से सुनाई नहीं देता है और उस वीडियो की पुष्टि नहीं की जा सकी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि उस वीडियो से छेड़छाड़ की गई है और पार्टी क़ानूनी कार्रवाई करेगी।
एस वीडियो को साझा करते हुए मालवीय ने ट्विटर पर लिखा, "राहुल गांधी की भारत 'जोड़ो' यात्रा में शामिल होने के लिए ऋचा चड्ढा के सार्वजनिक आवेदन के बाद खरगोन में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगे। कांग्रेस एमपी ने वीडियो पोस्ट किया और फिर ग़लती सामने आने के बाद इसे हटा दिया।'
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी इस वीडियो को लेकर कांग्रेस और उसकी भारत जोड़ो यात्रा पर निशाना साधा है।
इन आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा को बदनाम करने के लिए वीडियो से छेड़छाड़ कर वीडियो प्रसारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
जयराम रमेश ने ट्वीट में कहा, 'हम तत्काल ज़रूरी क़ानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। हम इस तरह की रणनीति के लिए तैयार हैं और इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।'
समझा जाता है कि यात्रा 380 किमी की दूरी तय करने के बाद 4 दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करेगी।
वैसे, अमित मालवीय को कई बार सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ या फोटो शेयर करने के लिए आलोचना की जाती रही है। दो साल पहले तो ट्विटर ने ही उनके द्वारा ट्वीट की गई एक तसवीर पर 'मैनिपुलेटेड मीडिया' लिख दिया था। इसका मतलब था कि ट्विटर ने मान लिया था कि उस तसवीर के साथ छेड़छाड़ की गई थी।
उससे पहले भी अमित मालवीय के कई ट्वीट को फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट 'ऑल्ट न्यूज़', 'न्यूज़लाउंड्री इन्वेस्टिगेशन' और दूसरी वेबसाइटें कई बार मालवीय की पोस्ट को फ़ेक बता चुकी हैं।
अमित मालवीय ने कई बार बिना किसी आधार के ही या बिना जाँच पड़ताल किए सोशल मीडिया पर वीडियो या मैसेज शेयर किए हैं। 2020 में 15 जनवरी को मालवीय ने नागरकिता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में दावा किया था कि वे पैसे लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 'ऑल्ट न्यूज़', 'न्यूज़लाउंड्री इन्वेस्टिगेशन' ने इन आरोपों को निराधार बताया था।
2019 में 28 दिसंबर को मालवीय ने लखनऊ में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया था कि वे 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगा रहे थे।
'ऑल्ट न्यूज़' ने इस दावे को झूठा पाया। प्रदर्शन करने वालों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे नहीं लगाए थे, बल्कि वे 'काशिफ साब ज़िंदाबाद' के नारे लगा रहे थे। वे ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुसलिमीन पार्टी के लखनऊ के प्रमुख काशिफ अहमद का ज़िक्र कर रहे थे। पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने 'ऑल्ट न्यूज़' से कहा था कि काशिफ अहमद ने लखनऊ में 13 दिसंबर को प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ ही प्रदर्शन करने वाले अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के बारे में अमित मालवीय ने 16 दिसंबर को एक वीडियो शेयर किया था। वीडियो के साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा था, 'एएमयू के छात्र हिंदुओं की कब्र खुदेगी, एएमयू की धरती पर...?'
लेकिन सचाई इससे अलग थी। वास्तव में छात्र हिंदुत्व, सावरकार, बीजेपी, ब्राह्मणवाद और जातिवाद के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे थे। वे वीडियो में कहते हैं, 'हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., सावरकर की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ये बीजेपी की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ब्राह्मणवाद की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ये जातीवाद की कब्र....।'
'द वायर' की आरफ़ा ख़ानम के अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में दिए संबोधन के वीडियो को अमित मालवीय ने 26 जनवरी को शेयर किया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि आरफ़ा एक इसलामिक समाज की स्थापना को बढ़ावा दे रही थीं और प्रदर्शनकारियों से आग्रह कर रही थीं कि जब तक ऐसे समाज का निर्माण नहीं हो जाता तब तक ग़ैर-मुसलिमों को समर्थन करने का ढोंग करना चाहिए।
'स्क्रॉल डॉट इन' ने लिखा है कि आरफ़ा का कहने का मतलब इसके उलट था- उन्होंने लोगों से आग्रह किया था कि वे धार्मिक नारों का उपयोग न करें और इस आंदोलन के धर्मनिरपेक्ष रूप को बरकरार रखें।