सोमवार को लखनऊ में हुई किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसान पहुंचे। किसानों की यह महापंचायत पहले से ही तय थी। बता दें कि केंद्र सरकार कृषि क़ानून वापस लिए जाने का एलान कर चुकी है लेकिन किसानों ने अपनी कुछ मांगें सरकार के सामने रखी हैं और कहा है कि इन्हें लेकर वे आंदोलन जारी रखेंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने एएनआई से कहा कि पूरे देश में किसान पंचायतें होंगी। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी क़ानून के बिना बात आगे नहीं बढ़ सकती। उन्होंने कहा कि सरकार को बातचीत कर किसानों की बाक़ी मांगों पर भी फ़ैसला लेना चाहिए।
किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि अपने जायज हक़ों की मांग को लेकर उनका आंदोलन जारी रहेगा। मोर्चा ने सरकार के सामने छह मांगें रखी हैं।
- एमएसपी को लेकर क़ानूनी गारंटी दी जाए।
- बिजली संशोधन विधेयक को वापस लिया जाए।
- पराली जलाने पर जुर्माने के प्रावधानों को ख़त्म किया जाए।
- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुक़दमों को वापस लिया जाए।
- केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए।
- आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा दिया जाए और सिंघु बॉर्डर पर उनकी याद में स्मारक बनाने के लिए ज़मीन दी जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी प्रदर्शनकारी किसानों से अपील की थी कि वे लखनऊ की महापंचायत में ज़रूर हिस्सा लें। संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक 27 नवंबर को होने जा रही है। इसमें आंदोलन को लेकर कोई अहम फ़ैसला होने की उम्मीद है।
टेनी की बर्खास्तगी को लेकर अड़े
किसान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग पर अड़े हैं। अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा टेनी के पिता हैं। टेनी को बर्खास्त करने को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा था।
प्रियंका ने लिखा था कि वे लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों के परिवारों से मिली हैं और इन परिवारों को अजय मिश्रा टेनी के अपने पद पर बने रहते हुए इंसाफ़ मिलने की आस नहीं है। उन्होंने कहा था कि गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अजय मिश्रा टेनी के साथ मंच साझा कर रहे हैं।
बीते एक साल के दौरान किसान ठंड, गर्मी और भयंकर बरसात से भी नहीं डिगे और खूंटा गाड़कर बैठे रहे। इस दौरान उन्होंने रेल रोको से लेकर भारत बंद तक कई आयोजन किए। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से लेकर टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा लगा रहा।
बीजेपी को इस बात का डर था कि किसान आंदोलन के कारण उसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के चुनाव में बड़ा सियासी घाटा हो सकता है। माना जा रहा है कि इसी वजह से उसने क़ानून वापस लिए हैं। देखना होगा कि सरकार किसानों की इन बाक़ी मांगों को लेकर क्या रुख अपनाती है।