उत्तर प्रदेश की सियासत में चल रहे घमासान में नज़रें इस बात पर भी हैं कि अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को साथ लेंगे या नहीं। हालांकि अखिलेश कहते रहे हैं कि चाचा और उनके समर्थकों को पूरा सम्मान दिया जाएगा लेकिन चुनाव में जब सिर्फ़ साढ़े तीन महीने का ही वक़्त बचा है, फिर भी दोनों नेताओं के बीच गठबंधन के लिए ठोस बातचीत होती नहीं दिख रही है। शायद इसीलिए शिवपाल ने सोमवार को अखिलेश को अल्टीमेटम दे दिया।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने इटावा में कहा कि सभी लोग चाहते हैं कि एक होकर चुनाव लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बारे में फ़ैसला जल्दी हो जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो वे एक हफ़्ते के अंदर लखनऊ में पार्टी का बड़ा सम्मेलन बुलाएंगे।
शिवपाल ने अपनी पार्टी के लिए 100 सीटें मांगी और कहा कि समाजवादी पार्टी 303 सीटों पर चुनाव लड़े। लेकिन ऐसा कहीं से नहीं लगता कि अखिलेश अपने चाचा को इतनी सीटें देंगे। अखिलेश कह चुके हैं कि वे जसवंत नगर की सीट चाचा के लिए छोड़ सकते हैं।
शिवपाल और अखिलेश यादव के रिश्ते 2018 में बहुत ज़्यादा ख़राब हो गए थे और इसके बाद शिवपाल समाजवादी पार्टी से अलग हो गए थे। शिवपाल समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ ही उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं।
साथ नहीं दिखे चाचा-भतीजा
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर भी चाचा और भतीजा साथ नहीं दिखाई दिए। पहले अखिलेश और दूसरे चाचा रामगोपाल यादव पहुंचे तो शाम को शिवपाल सिंह यादव मुलायम के पास पहुंचे।
बीते दिनों में अखिलेश यादव ने महान दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन फ़ाइनल किया है और राष्ट्रीय लोकदल के साथ भी सीटों के बंटवारे को लेकर उनकी बातचीत अंतिम चरण में है।
सत्ता में लौटने के लिए बेकरार दिख रहे अखिलेश यादव को बाक़ी छोटे दलों की तरह ही शिवपाल सिंह यादव की पार्टी को भी साथ लेना होगा। क्योंकि इससे वोटों का बिखराव ज़रूर रुकेगा।