लोकसभा चुनाव बाद क्या अजित पवार गुट पर ख़तरा मंडरा रहा है? चुनाव में ख़राब प्रदर्शन के बाद अजित गुट के विधायकों को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, इसी को लेकर एनसीपी (एसपी) के नेता और शरद पवार के पोते रोहित पवार ने बड़ा दावा किया है। उनका दावा है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एनसीपी के 18 से 19 विधायक राज्य विधानमंडल के आगामी मानसून सत्र के बाद उनके पक्ष में आ जाएंगे। उन्होंने कहा है कि ये विधायक उनके संपर्क में हैं।
वैसे, कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव नतीजों ने अजित खेमे में खलबली मचा दी है। एनसीपी में बँटवारा होने के बाद लोकसभा चुनाव दोनों खेमों के लिए पहली बड़ी परीक्षा था। अजित पवार चुनाव आयोग द्वारा उन्हें पार्टी का नाम और चिह्न दिए जाने के बाद पहली चुनावी लड़ाई में अपने चाचा शरद पवार की एनसीपी पर अपना दबदबा बनाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने अजित पवार को निराश कर दिया।
अजित पवार को पारिवारिक गढ़ बारामती में प्रतिष्ठा की लड़ाई में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से 1 लाख 58 हज़ार मतों के अंतर से हार गईं। रायगढ़ से उनके चार उम्मीदवारों में से केवल एक सुनील तटकरे ही निर्वाचित हुए हैं।
इसके विपरीत शरद पवार ने अपनी एनसीपी (एसपी) द्वारा लड़ी गई 10 सीटों में से 8 पर जीत हासिल की है। इससे पार्टी के लंबे समय से चले आ रहे पश्चिमी महाराष्ट्र के किले पर उनकी मजबूत पकड़ बनी हुई है और 25 साल पहले स्थापित की गई पार्टी पर उनका दावा मजबूत हुआ है।
अजित को पिछले साल शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने पर उपमुख्यमंत्री पद से पुरस्कृत किया गया था, और चुनाव आयोग ने उनके समूह को असली एनसीपी के रूप में मान्यता दी थी। लेकिन अब अजित पवार का भविष्य कुछ ठीक नहीं लगता है।
कहा जा रहा है कि मतदाताओं ने जिस तरह से शरद पवार पर भरोसा जताया है, उससे अब अजित पवार खेमे के विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों में अपने भविष्य को लेकर संशय पैदा होगा।
कुछ रिपोर्टों में तो कहा जा रहा है कि अजित पवार के खेमे से राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा पलायन संभव है। शरद पवार की पार्टी के बेहतर नतीजे आने के बाद अजित पवार के कई विधायक राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए उनके पास लौट सकते हैं। व्यक्तिगत मोर्चे पर लोकसभा चुनावों ने पवार परिवार में अजित पवार को अलग-थलग कर दिया है।
ऐसी ही स्थिति में अब रोहित पवार का नया दावा सामने आया है। रोहित ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि कई राकांपा विधायक हैं जिन्होंने जुलाई 2023 में संगठन में विभाजन के बाद पार्टी के संस्थापक शरद पवार और अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कभी भी बुरा नहीं कहा है। उन्होंने कहा, 'लेकिन उन्हें विधानमंडल सत्र में भाग लेना है और अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विकास निधि प्राप्त करनी है। इसलिए वे सत्र समाप्त होने तक इंतजार करेंगे।'
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने दावा किया, '18 से 19 विधायक हमारे और पवार साहब के संपर्क में हैं और मानसून सत्र के बाद वे उनके पक्ष में आ जाएंगे।' उन्होंने कहा कि शरद पवार और अन्य राकांपा (सपा) नेता इस बारे में फैसला लेंगे कि किसे वापस अपने पाले में लेना है।
बता दें कि अविभाजित एनसीपी ने 2019 के चुनावों में 54 विधानसभा सीटें जीती थीं। जुलाई 2023 में जब पार्टी विभाजित हुई तो अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने लगभग 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। विधानमंडल का मानसून सत्र 27 जून से शुरू होगा और 12 जुलाई को समाप्त होगा। राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह आखिरी सत्र होगा।
रोहित पवार ने कहा कि एनसीपी के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि जब अगला केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार होगा, तो वह मंत्री बनेंगे। उन्होंने पूछा, 'इसका मतलब है कि प्रफुल्ल पटेल का अजित पवार की पार्टी पर पूरा नियंत्रण है। यह जांचने की जरूरत है कि अजित पवार विकास के लिए अलग हुए या प्रफुल्ल पटेल को ईडी से बचाने के लिए।'