पाकिस्तान में हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर हुए हमले के मामले का वहां की सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में सैकड़ों की भीड़ हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर आगजनी करती दिखी थी। यह घटना उत्तर-पश्चिमी ख़ैबर पख्तूनख़्वा के करक जिले में हुई थी।
चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने घटना को बेहद गंभीरता से लेते हुए सुनवाई की तारीख़ 5 जनवरी तय की है। चीफ़ जस्टिस ने पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन, पुलिस प्रमुख और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे इस मामले को लेकर 4 जनवरी को उनके सामने रिपोर्ट पेश करें। इस मामले को पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के संरक्षक रमेश कुमार ने उठाया था।
समाधि और मंदिर पर हमले की वजह हिंदू समुदाय को इसका पुनर्निर्माण कराने की इजाजत देना बताया गया है। मामले के प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि एक स्थानीय मौलाना और धार्मिक राजनीतिक दल के समर्थकों ने भीड़ का नेतृत्व किया था। कहा जा रहा है कि वे इसका पुनर्निर्माण रुकवाना चाहते थे।
घटना को लेकर पाकिस्तान के हिंदू समुदाय में तीख़ी प्रतिक्रिया हुई थी। कराची में हिंदू समुदाय के लोगों ने घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था।
परमहंस महाराज की है समाधि
यह समाधि श्री परमहंस महाराज की है, जिन्हें पाकिस्तान की हिंदू आबादी बहुत मानती है। हालांकि इस इलाक़े में हिंदू आबादी नहीं रहती है लेकिन यहां पर हिंदू आते रहते हैं। 1947 में भारत के विभाजन से पहले ही संत परमहंस की मृत्यु हो चुकी थी। इससे पहले भी 1997 में इस समाधि पर हमला हुआ था। 2015 में समाधि का नवीनीकरण हुआ था।
पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नुरूल हक़ क़ादरी ने इस हमले को सांप्रदायिक सौहार्द्र पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की धार्मिक आज़ादी की रक्षा करना हमारा फर्ज है। भारत ने इस घटना को लेकर पाकिस्तान के सामने विरोध दर्ज कराया है।
मुल्क की हुक़ूमत में बैठी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार ख़ैबर पख़्तूनख़्वा सूबे में भी है। सूबे के सूचना महकमे के वज़ीर कामरान बंगाश ने इस घटना पर दुख जताया है। इसके अलावा सूबे के वज़ीर-ए-आला महमूद ख़ान ने समाधि, मंदिर और इसके आसपास के घरों का पुनर्निर्माण कराने का आदेश दिया है। बंगाश ने कहा कि हिंदू समुदाय के समर्थन के साथ पुनर्निर्माण का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां पर सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
करक जिले के पुलिस प्रमुख इरफ़ानुल्ला ख़ान ने न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी को बताया कि अब तक 45 लोगों को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया है। इसमें मुल्ला शरीफ़ नाम के स्थानीय मुसलिम नेता भी शामिल है। इसके अलावा ऐसे लोगों की तलाश की जा रही है जिन्होंने लोगों को ऐसा करने के लिए उकसाया।