पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की विवादों में घिरी किताब ‘Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times’ मध्य प्रदेश में बैन की जाएगी। राज्य के गृह एवं विधि मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को यह एलान किया। वे मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता भी हैं।
नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘सोनिया गांधी को खुर्शीद की किताब के बेहद विवादास्पद अंशों को लेकर कांग्रेस पार्टी का स्टैंड बिना देर किये साफ करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘खुर्शीद की किताब बेहद निंदनीय है। हिन्दुत्व को खंडित करने और हिन्दुओं को जाति में बांटने का कोई भी अवसर ये लोग नहीं छोड़ते हैं। देश को टुकड़े-टुकड़े करने वाले विचारों को आगे बढ़ाते हैं।’
कमल नाथ भी निशाने पर
मिश्रा ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ को भी निशाने पर लेते हुए कहा, ‘नाथ ने महान भारत को बदनाम भारत बताया था, खुर्शीद की किताब उसी सोच को आगे बढ़ाने वाला कदम है।’
गृह मंत्री ने कहा कि हिन्दुत्व के बारे में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट तौर पर कह चुका है, ‘हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति है।’ लेकिन उस हिन्दुत्व पर भी सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में सवाल उठा दिए हैं।
मंत्री ने कहा, ‘हम विधि विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। उनका मत मिलते ही खुर्शीद की किताब को मध्य प्रदेश सरकार राज्य में बैन कर देगी।’
बता दें, पूर्व केन्द्रीय मंत्री खुर्शीद ने अपनी किताब में हिन्दुत्व की तुलना आतंकी संगठन आईएसआईएस और बोको हराम से की है। राम मंदिर को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी किताब में सवाल उठाए गए हैं।
किताब के इन और ऐसे अन्य अंशों पर बवाल मचा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी आईटी हेड अमित मालवीय ने हिन्दुत्व की तुलना आईएसआईएस एवं बोको हराम से करने वाले किताब के पेज को ट्वीट करते हुए खुर्शीद और कांग्रेस का जमकर आड़े हाथों लिया है। किताब का विरोध करते हुए विवेक गर्ग नामक वकील ने खुर्शीद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।
दिग्विजय, चिदंबरम संघ पर हमलावर
सलमान खुर्शीद की किताब की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने पैरवी की है। दिग्विजय सिंह ने कहा है, ‘हिन्दुत्व शब्द का हिन्दू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है।’ उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘देश में हिन्दू खतरे में नहीं है, बल्कि फूट डालो और राज करो की मानसिकता खतरे में है।’
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘इस देश के इतिहास में धार्मिक आधार पर मंदिरों का विध्वंस भारत में इसलाम के आने से पहले भी होता रहा है। एक राजा दूसरे राजा के क्षेत्र को जीतता था, तो अपने धर्म को उस राजा के धर्म पर तरजीह देने की कोशिश करता था। अब ऐसा बता दिया जाता है कि मंदिरों की तोड़फोड़ इसलाम के आने के साथ शुरू हुई थी।’
‘राम मंदिर को बनाया मुद्दा’
उन्होंने कहा, ‘राम जन्मभूमि का विवाद कोई नया विवाद नहीं था। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस ने इसे कभी मुद्दा नहीं बनाया। जब 1984 में बीजेपी दो सीटों पर सिमट गई तो इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया।’
उधर, पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने भी संकेतों में संघ और बीजेपी को आड़े हाथ लिया। चिदंबरम ने कहा, ‘आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जब लिचिंग की प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तरफ से निंदा नहीं की जाती है।’
अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फ़ैसले को संकीर्ण कानूनी आधार वाला फ़ैसला बताने से भी चिदंबरम नहीं चूके हैं।