यूक्रेन युद्ध के बीच क्या अब फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर रूस खामोश रहेगा? रूस का ऐसा रवैया तो नहीं दिखता है। उन दोनों देशों के नाटो में शामिल होने की संभावनाओं के बीच रूस ने आज चेतावनी दी है।
इसने कहा है कि फिनलैंड और स्वीडन द्वारा नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होने के फ़ैसले गंभीर ग़लतियाँ हैं और मास्को इस पर क़दम उठाएगा। रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने संवाददाताओं से कहा, 'यह एक और गंभीर गलती है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।' एएफ़पी ने रूसी समाचार एजेंसियों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि रयाबकोव ने कहा, 'सैन्य तनाव का सामान्य स्तर बढ़ेगा।'
रयाबकोव ने कहा कि इस कदम के परिणामस्वरूप दोनों देशों की सुरक्षा मजबूत नहीं होगी और मास्को क़दम उठाएगा। उन्होंने कहा, 'उन्हें इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि हम इसे यूँ ही छोड़ देंगे।'
यूक्रेन पर रूसी हमले और लगातार जारी युद्ध के बीच फिनलैंड और स्वीडन अब रूस से आशंकित हैं। वे संभावित रूसी आक्रामकता के ख़िलाफ़ रक्षा के रूप में नाटो में शामिल होने के लिए दशकों पुरानी अपनी सैन्य गुटनिरपेक्षता को ख़त्म करने के लिए तैयार हैं।
कहा जा रहा है कि यह अब तक का सबसे तेज नाटो विस्तार होने की संभावना है। फ़िनलैंड के नेताओं ने गुरुवार को कहा था कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के कारण फ़िनलैंड को दुनिया के सबसे बड़े सैन्य संगठन नाटो में शामिल होना चाहिए। इसी राह पर स्वीडन के भी चलने की संभावना है।
कहा जा रहा है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध और मास्को-केंद्रित प्रभाव क्षेत्र स्थापित करने के पुतिन के इरादों ने फ़िनलैंड और स्वीडन के लोगों की सुरक्षा की धारणाओं को झकझोर दिया है। यह सब 24 फरवरी के यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के आदेश देने के कुछ ही दिनों में हुआ है। वहाँ की जनता की राय नाटकीय रूप से बदल गई।
फिनलैंड में नाटो की सदस्यता के लिए समर्थन वर्षों से 20-30% के आसपास रहा था, लेकिन यूक्रेन में युद्ध की घोषणा के बाद यह समर्थन अब 70% से अधिक हो गया है।
बहरहाल, मास्को ने उस फिनलैंड को चेतावनी दी है जिसके साथ उसकी क़रीब 1,300 किलोमीटर की सीमा लगती है। यदि फ़िनलैंड नाटो में शामिल हो जाता है तो यह रूस के साथ नाटो गठबंधन की सीमा की लंबाई दोगुनी हो जाएगी। इससे रूस के सामने अपनी सीमा की रक्षा के लिए 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा और बढ़ जाएगी।
इन ताजा घटनाक्रमों के बीच ही फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्टो ने शनिवार को रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ नाटो सदस्यता के लिए देश के आवेदन के बारे में बात की। इसको लेकर क्रेमलिन की तरफ़ से बयान जारी किया गया। क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन फिनलैंड की सैन्य तटस्थता के किसी भी अंत को एक 'ग़लती' के रूप में देखते हैं।
फिनलैंड ने रविवार को नाटो में शामिल होने के अपने इरादे की घोषणा की है। स्वीडन की सत्ताधारी पार्टी ने कहा है कि उसने सदस्यता का समर्थन किया।
तो अब रूस की चेतावनी के मायने क्या हैं? क्या वह कुछ वैसा क़दम उठाने पर विचार करेगा जैसा कि उसने यूक्रेन में उठाया है? कहा जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध में रूस का आर्थिक नुक़सान ही नहीं हुआ है, बल्कि बड़े पैमाने पर सैनिकों का नुक़सान भी हुआ है। ख़ासकर फिनलैंड से लगने वाली सीमा के ज़िलों से रूस ने अपनी सेना को यूक्रेन भेजा था। तो क्या इसके बावजूद वह आगे बढ़ेगा? यदि रूस ऐसा करता है तो क्या नाटो के बड़े रणनीतिक जाल में नहीं फँस रहा होगा?