बीजेपी के ऐसे नेता जो विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी को छोड़कर पार्टी में आए थे, उनके बीच घर वापसी की होड़ लग गई है। बीरभूमि के इल्लम बाज़ार इलाक़े में बीजेपी कार्यकर्ता सोमवार को टीएमसी के दफ़्तर के बाहर धरने पर बैठ गए और उन्हें पार्टी में वापस लेने की मांग की। इन सभी नेता और कार्यकर्ताओं ने हाथों में पोस्टर लिए हुए थे और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से उन्हें पार्टी में वापस लिए जाने की गुहार लगा रहे थे।
ऐसी घटना शायद आज़ाद भारत की राजनीति के इतिहास में पहली बार हुई है। हालांकि इन लोगों का संघर्ष कामयाब हुआ और धरना देने के बाद 50 बीजेपी कार्यकर्ताओं को टीएमसी में वापस शामिल कर लिया गया।
धरना देने वाले इन कार्यकर्ताओं का कहना था कि उन्हें टीएमसी छोड़कर बीजेपी में जाने का पछतावा है और वे मां, माटी, मानुष की सेवा करने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में काम करना चाहते हैं।
बीजेपी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे आला ओहदे पर रहे मुकुल राय के लौटने के बाद अब चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वाले कई नेता टीएमसी में वापसी चाहते हैं लेकिन ममता बनर्जी ने साफ कह दिया है कि जिसने पार्टी से गद्दारी की है, उसे वापस नहीं लिया जाएगा।
‘चुनाव बाद की हिंसा जिम्मेदार’
बीरभूमि जिले के बीजेपी के एक नेता ने इंडिया टुडे से बातचीत में इसके लिए चुनाव के बाद हुई हिंसा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के पास टीएमसी में वापस जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि चुनाव नतीजों के बाद से ही टीएमसी के नेता उन पर जुल्म ढा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच जबरदस्त चुनावी घमासान हुआ था और 200 सीट जीतने का दावा करने वाली बीजेपी 80 का आंकड़ा भी नहीं छू सकी थी जबकि ममता बनर्जी की क़यादत में टीएमसी को बड़ी जीत हासिल हुई थी।
बंगाल की राजनीति पर देखिए चर्चा-
24 विधायक रहे ग़ैर हाजिर
मुकुल राय की वापसी और राजीब बनर्जी के टीएमसी नेता कुणाल घोष से मुलाक़ात करने के बाद बीजेपी आलाकमान इसे लेकर सक्रिय हो गया है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को जब पार्टी के विधायकों के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाक़ात की तो 24 विधायक ग़ैर हाजिर रहे। बीजेपी विधायकों की ओर से राज्यपाल से यह मुलाक़ात बंगाल के कुछ मामलों को लेकर की गई थी।
अब बीजेपी आलाकमान परेशान हो गया है कि ये 24 विधायक राज्यपाल से मिलने क्यों नहीं पहुंचे। इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि ये सभी टीएमसी में लौट सकते हैं। इससे यह भी सवाल खड़ा हुआ है कि क्या इन विधायकों को शुभेंदु अधिकारी को विपक्ष का नेता बनाया जाना अखरा है।
पिछले साल दिसंबर में बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु को पार्टी आलाकमान की ओर से ज़्यादा तवज्जो दिए जाने के कारण पार्टी के पुराने नेताओं में नाराज़गी होने की बात कही जा रही है।
मुकुल राय के बीजेपी में शामिल होने के पीछे भी यही कारण बताया गया है क्योंकि मुकुल शुभेंदु से चार साल पहले से बीजेपी में काम कर रहे थे लेकिन पार्टी ने उनकी दावेदारी को नकारते हुए शुभेंदु को विपक्ष का नेता बना दिया। हालांकि शुभेंदु ने विधानसभा चुनाव में ममता को पटकनी देकर साबित किया था कि वे दमखम वाले नेता हैं।
‘30 से ज़्यादा विधायक संपर्क में’
इंडिया टुडे के मुताबिक़, कई बीजेपी विधायक नाराज़ हैं। मुकुल राय की टीएमसी में वापसी के बाद उन्हें उम्मीद है कि पार्टी उन्हें वापस ले लेगी। टीएमसी ने कहा है कि 30 से ज़्यादा विधायक उसके संपर्क में हैं। मुकुल राय से पहले सोनाली गुहा और दीपेंदु बिस्वास भी खुलकर कह चुके हैं कि वे टीएमसी में वापस आना चाहते हैं।
शुभेंदु ने कहा है कि ऐसे विधायक जो टीएमसी में वापस जाना चाहते हैं, उन पर दल-बदल क़ानून लागू होना चाहिए।