रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई ने भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर -9.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया है। यानी सीधे तौर पर कहें तो भारत की अर्थव्यवस्था इतनी सिकुड़ेगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फ़ैसला लिया है। हालाँकि इसके पीछे ऊँची मुद्रास्फ़ीति यानी महँगाई को कारण बताया गया है।
मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर, वह ब्याज दर जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक उधारदाताओं को उधार देता है, 4.0 प्रतिशत रखा गया है। रिवर्स रेपो दर, वह ब्याज दर जिसे आरबीआई अपने यहाँ जमा पैसे पर ब्याज देता है, 3.35 प्रतिशत पर रखा गया है।
आरबीआई का अनुमान है कि आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा। हालाँकि, 2020-21 के पहले क्वार्टर में जीडीपी वृद्धि दर -23.9 फ़ीसदी (नकारात्मक में) हो गई थी लेकिन बाद में इसमें सुधार के आसार दिख रहे हैं। यही वजह है कि पूरे साल की जीडीपी वृद्धि दर -9.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।